बड़ा फैसला

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में नकदी की जो कमी पैदा हुई थी, उसे भरना बहुत जरूरी था

बड़ा फैसला

कई ठग एक फोन कॉल या एक लिंक से लोगों के बैंक खाते खाली कर देते हैं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपए के नोटों को सितंबर 2023 के बाद प्रचलन से बाहर करने की घोषणा से कुछ आश्चर्य तो हुआ, लेकिन यह फैसला अप्रत्याशित नहीं लगा। इस बात की कहीं ख़बर नहीं थी कि आरबीआई की ओर से ऐसी कोई घोषणा होनेवाली है। 

हालांकि पिछले कुछ वर्षों से ये नोट बहुत कम दिखाई दे रहे थे। आम लोगों के बीच इनका लेन-देन बहुत कम हो गया था। ये एटीएम से निकलने बंद हो गए थे। जिन्हें बड़े नोटों की ज़रूरत होती, वे 500 रुपए के नोटों का उपयोग करते। ऐसे में जब आरबीआई की ओर से घोषणा की गई तो आम लोगों में किसी तरह की कोई बेचैनी पैदा नहीं हुई। ज़्यादातर की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि हमने काफी समय से 2,000 रुपए का नोट नहीं देखा, न घर में कहीं रखा है। 

चूंकि पिछले कुछ वर्षों में देश में जिस तरह डिजिटल पेमेंट में वृद्धि हुई है, उसने लोगों की आदत में बदलाव किया है। बड़े शहरों में तो कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने महीनों से नकदी में कोई लेन-देन नहीं किया। इसी तरह कस्बों और गांवों में भी डिजिटल पेमेंट खूब हो रहे हैं। 

इसमें बढ़ोतरी जारी है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को तत्कालीन 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोटों का प्रचलन बंद करने की घोषणा की थी तो आम जनता ने इस फैसले का स्वागत किया था। हालांकि सबको इस बात को लेकर थोड़ी हैरानी भी हुई कि 1,000 रुपए का नोट तो बंद किया जा रहा है, लेकिन 2,000 रुपए का लाया जा रहा है!

दो हजार रुपए के नोट छापने की कवायद इसलिए थी, क्योंकि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में नकदी की जो कमी पैदा हुई थी, उसे भरना बहुत जरूरी था। अन्यथा इससे अर्थव्यवस्था में गतिविधियां धीमी पड़ जातीं। धीरे-धीरे 500 रुपए और 2,000 रुपए के नोट पर्याप्त संख्या में प्रचलन में आ गए। इस बीच ईडी और आयकर विभाग के छापे भी चर्चा में रहे, क्योंकि प्राय: जिन्होंने रिश्वतखोरी और अवैध ढंग से धन कमाया था, उन्होंने यह दौलत 2,000 रुपए की गड्डियों में इकट्ठी कर रखी थी। 

जब सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें वायरल होतीं तो आम जनता यह सवाल जरूर पूछती थी कि 2,000 रुपए के नोटों का क्या औचित्य है, इन्हें बंद कर देना चाहिए, क्योंकि जितने बड़े नोट होंगे, भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी उतनी ज्यादा होगी। आखिरकार देश ने बड़ा फैसला ले ही लिया। अब 2,000 रुपए के नोट इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। 

जिन लोगों के पास ये नोट हैं, वे अपने बैंक खातों में जमा करवा सकते हैं या बदलवा सकते हैं। इसके लिए समय भी खूब मिला है। सरकार को चाहिए कि अब डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे। साथ ही उसे अधिक सुरक्षित बनाने पर ध्यान दे। यह देखने में आया है कि देश में डिजिटल पेमेंट बढ़ा है तो डिजिटल धोखाधड़ी भी बढ़ी है। 

कई ठग एक फोन कॉल या एक लिंक से लोगों के बैंक खाते खाली कर देते हैं। रोजाना ऐसी ख़बरें आ रही हैं। इससे आमजन में आशंकाएं भी पैदा हो रही हैं। कई बार ऐसा होता है कि किसी के पास सच में ही बैंक से फोन आया तो उसे विश्वास नहीं हुआ। 

चूंकि ऑनलाइन ठगी की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं। सरकार ऐसे ठगों पर शिकंजा कसे और उन्हें कठोर से कठोर दंड देने का प्रावधान करे। वहीं, भ्रष्टाचारियों पर और सख्ती बरतने की ज़रूरत है। अगर 2,000 रुपए के नोट वापस ले लिए हैं तो इसका यह अर्थ नहीं है कि भ्रष्टाचार करने वाले 'शांत' बैठ जाएंगे। वे कोई और रास्ता ढूंढ़ेंगे। सरकार उन रास्तों को बंद करे और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाकर उन्हें अदालत से सजा दिलवाए।

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