ज्वलंत समस्या

ज्वलंत समस्या

आज ऐसे मामलों की बाढ़-सी आ गई है, जब किसी जरूरतमंद को प्रलोभन देकर उसके धर्म का सौदा कर लिया जाता है


आखिर उच्चतम न्यायालय ने उस ज्वलंत समस्या का उल्लेख कर ही दिया, जिस पर बोलने से प्राय: राजनीतिक दल बचते हैं। उसने जबरन और लालच से किए जा रहे धर्मांतरण को गंभीर विषय बताया है, जो प्रासंगिक है। आज देश में ऐसे कई संगठन काम कर रहे हैं, जो भोले-भाले लोगों को चंगुल में फंसाकर उनका धर्मांतरण करा देते हैं। अगर ऐसा छल से नहीं होता तो बल से करने की कोशिश की जाती है। 

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निस्संदेह कोई व्यक्ति किसी धर्म की अच्छाई और उसके ग्रंथों का अध्ययन कर विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेते हुए उसे अपनाता है तो कानून इसकी अनुमति देता है, लेकिन आज ऐसे मामलों की बाढ़-सी आ गई है, जब किसी जरूरतमंद को प्रलोभन देकर उसके धर्म का सौदा कर लिया जाता है। झूठ बोलकर, मजहब छुपाकर और ब्लैकमेल कर धर्मांतरण के मामले तो कई थानों में दर्ज हैं। 

इन मामलों में प्राय: हिंदू युवतियों को प्यार का झांसा दिया जाता है। नकली पहचान के साथ शुरू किए गए इस रिश्ते में जब मर्यादा की हदें पार कर बात शादी या उससे आगे पहुंच जाती है तो सामने वाले का भंडाफोड़ होता है। संबंधित युवती और उसके परिवार के लिए यह किसी वज्रपात से कम नहीं होता। फिर वे सरकारी दफ्तरों और अदालतों में गुहार लगाते हैं। अलग-अलग मामलों में तरीका अलग हो सकता है, लेकिन मंशा एक ही होती है- धर्मांतरण।

पाठकगण इसे सामान्य विषय न समझें। उन्हें इसके लिए पिछले दो सौ साल के इतिहास की कुछ झलकियों पर ध्यान देना चाहिए। कभी हम अफगानिस्तान तक थे। हमारे मंदिरों, गुरुद्वारों, ध्यान केंद्रों पर धर्म पताका फहराती थी। आज वहां ढूंढ़ने से हिंदू, सिक्ख और जैन नहीं मिलते। वे कहां गए? उनके परिवारों के साथ क्या हुआ? हमारे देखते-देखते कटासराज शिव मंदिर, हिंगलाज तीर्थ, कराची पंचमुखी हनुमान मंदिर, शारदा पीठ हमसे छीन लिए गए। ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर, जहां पूरे भारत से श्रद्धालु निर्बाध दर्शन के लिए जाते थे, अब पासपोर्ट लेकर जाना पड़ता है। 

हम इस बात पर गर्व करते हैं कि पाकिस्तान में प्राचीन मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं, लेकिन इस पर चिंतन नहीं करते कि हम उनसे वंचित क्यों हो गए? धर्मांतरण को सिर्फ यहीं तक सीमित रखकर न देखें कि इससे किसी व्यक्ति की पूजा-पद्धति में बदलाव आ जाएगा। इसके प्रभाव गहरे होते हैं। कालांतर में कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इससे जनसांख्यिकीय बदलाव आता है, जो न केवल शांति, सद्भाव, सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए खतरनाक होता है, बल्कि इससे संपूर्ण देश का अस्तित्व संकट में घिर सकता है। 

यूट्यूब पर ऐसे वीडियो बहुतायत में हैं, जिनमें धर्मांतरण की तरफदारी के लिए देवी-देवताओं, संतों और ऋषियों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये गतिविधियां तुरंत बंद होनी चाहिएं। धर्मांतरण के नाम पर सद्भाव को चोट पहुंचा रहे इन तत्त्वों की जांच हो। उन्हें कौन धन उपलब्ध करा रहा है? इसका पर्दाफाश होना चाहिए। 

देश में हर धर्म के अनुयायियों की आस्था का सम्मान हो, किसी के खिलाफ नफरत नहीं फैलाई जाए। भेदभाव न हो। देशवासियों में एकता और सद्भाव हो। इसके लिए जरूरी है कि इस ज्वलंत समस्या का समाधान किया जाए, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।
 

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