चीन की हिमाकत
चीन की हिमाकत
पिछले कई महीनों से चीन भारतीय सीमा पर बार-बार घुसपैठ कर रहा है। चीन ने पाकिस्तान को भी कई बार समर्थन दिया है और भारत द्वारा पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग में रो़डा बन रहा है। अपने निजी फायदे के लिए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का क्रियान्वयन कर रहा है और साथ ही भारत, भूटान और नेपाल जैसे शांति प्रिय देशों से तकरार भी करता रहता है। सीपीईसी पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजर रहा है जिसकी क़डी निंदा भारत कर रहा है। भारत के रिश्ते, अमेरिका, जापान और अन्य देशों से मजबूत हुए हैं, चीन इस बात से भी परेशान है। भारत, जापान और अमेरिका जल्द ही हिन्द महासागर में एक संयुक्त सैन्य अभ्यास करने जा रहे हैं। भूटान जैसे छोटे देश को चीन द्वारा दी जा रही धमकी से पता चलता है कि चीन आक्रामक तेवर अपनाकर अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है। भारत और भूटान के बीच घनिष्ठ रिश्ते हैं और इसीलिए भारत भूटान का समर्थन कर रहा है परंतु चीन की कोशिश भारत पर भी दबाव बनाने की है। चीन आज भी अपनी सरहद ब़ढाने की कोशिश करता रहता है और इसलिए भारत को अधिक चौकन्ना रहना प़डता है। जिस तरह वर्ष १९६२ की जंग का जिक्र कर चीन ने भारत को ललकारा है उससे उसकी नादानी समझ में आती है। वर्ष वर्ष १९६२ और २०१७ में जो फर्क है उसे समझना चाहिए। भारत के विश्व में बेहतर रिश्तों के कारण चीन पर कूटनीतिक दबाव तो प़डता है साथ ही भारत के प्रमुख साथियों में जापान और अमेरिका हैं जो चीन के दक्षिणी चीनी समुद्री क्षेत्र में चीन द्वारा की लगातार की जा रही गुस्ताखियों से खफा हैं। अगर वर्ष १९६२ की गलतफहमी में रहकर चीन भारत के खिलाफ सैन्य कार्यवाही करता है तो उसका खामियाजा चीन को अधिक भुगतना प़ड सकता है। जापान किसी भी हालत में क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करना चाहेगा और उसकी आधुनिक तकनीकी ताकत भारत को उपलब्ध कराएगा साथ ही भारत के ’’अमेरिका का सहयोगी’’ होने के कारण अमेरिका भारत का समर्थन करने के लिए बाध्य है। चीन भारत की ब़ढती अर्थव्यवस्था से भी परेशान है और चीनी उद्योग पर भारत के विकास का असर पड रहा है। साथ ही चीन के रिश्ते अनेक देशों से अच्छे नहीं हैं बल्कि भारत एक स्नेहशील देश होने के कारण कूटनीतिक ब़ढत बनता जा रहा है। इन समीकरणों से परेशान हो चुका चीन पाकिस्तान का समर्थन भी कर बैठा है। पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते बनाकर चीन यूरोप तक पहुँचने के लिए रेल लिंक और स़डकें बनाने की कोशिश में जुटा है परंतु चीन को यह समझना चाहिए कि भारत जैसे प्रगतिशील देश से क़डवे रिश्ते और पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के समर्थक से करीबी रिश्तों से चीन को नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं हो सकता है। विश्व के पांच सबसे ब़डे देशों में से एक चीन को अपने आक्रामक विस्तार के लिए अन्य देशों की जमीन ह़डपने की कोशिशों को त्याग देना चाहिए।