राजनीतिक फायदा

राजनीतिक फायदा

खुद को धर्मगुरु कहने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह इंसान को बलात्कार के एक मामले में सीबीआई के विशेष न्यायलय ने दोषी पाया था जिसके बाद उनके समर्थकों ने हरियाणा और पंजाब के अनेक इलाकों में भयंकर उत्पात मचाया। इस हिंसा के सन्दर्भ में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को क़डी फटकार लगाई है। न्यायालय ने पाया कि आपने राजनीतिक फायदे के लिए डेरा समर्थकों के सामने हरियाणा सरकार ने समर्पण कर दिया और काफी लम्बे समय तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। हरियाणा सरकार द्वारा धारा १४४ लगाए जाने पर भी सवाल उठाए। न्यायालय का मानना था कि हिंसा को आसानी से रोका जा सकता था परंतु सरकार ने लापरवाही बरतते हुए हिंसा होने दी। इस हिंसा में ३१ लोगों ने अपनी जान गंवाई। करो़डों रुपयों की सम्पत्ति का नुकसान भी हुआ है। गुरमीत राम रहीम सिंह इंसान पर अपने ही डेरे की दो साध्वियों के यौन शोषण का मामला पंचकूला की सीबीआई अदालत में काफी लम्बे अरसे से चल रहा था। जैसे ही फैसले का समय निकट आने लगा राम रहीम के समर्थक सक्रिय हो गए। फैसले से तीन-चार दिन पहले डेरा मुख्यालय सिरसा और पंचकूला सहित अन्य जगहों पर डेरा के लोग जमा होने लगे। पहले ही दिन से प्रशासन को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए थी। इस घटना से पहले हरियाणा पुलिस संत रामपाल को गिरफ्तार किए जाने के मामले में भी लापरवाही के लिए सवालों के घेरे में आई थी और जब जाट आंदोलन में हुई अराजकता के सामने पूरी तरह से लाचार ऩजर आई थी। यहाँ गंभीर चिंता इस बात की है कि बार-बार सवालों के घेरे में आने के बावजूद हरियाणा पुलिस ने अपने ढाँचे और कार्यशैली में सुधार नहीं किया। आला अधिकारियों को यह बात समझ आ जानी चाहिए थी कि राम रहीम के हजारों समर्थकों का एक जगह पर एकत्रित होना कानून एवं व्यवस्था के लिए गंभीर संकट पैदा कर है। देश के राजनैतिक दलों को यह समझना होगा कि इस तरह की घटनाओं में अपने वोट बैंक की राजनीति से परे हटकर देश हित में सोचने की उनकी जिम्मेदारी बनती है। भाजपा नेतृत्व को उन सभी राज्यों की सरकारों की कार्यशैली पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। सभी पार्टियों को ऐसे तत्वों से अपनी दूरी बनानी चाहिएजो समाज और मानव सेवा के नाम पर अपनी मनमानी कर रहे हैं। ऐसे लोगों से निकटता दर्शाकर पार्टियों को राजनीतिक फायदा तो मिलता है परंतु कई बार ऐसा करने पर पार्टियों की छवि पर असर प़डता है। वर्ष २०१८ में अनेक राज्यों में चुनाव होने हैं और सभी पार्टियों को केवल अपने वोट बैंक की नहीं बल्कि देश हित में फैसले लेने की आवश्यकता है।

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