नोटबंदी पर बहस

नोटबंदी पर बहस

नोटबंदी के विषय पर बहस फिर एक बार गर्माने लगी है। पिछले वर्ष नवंबर आठ की शाम देश के प्रधान मंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी और इसके बाद लम्बे अरसे तक देश का आम नागरिक नोटबंदी से हो रही परेशानियों से जूझता रहा केवल इसी उम्मीद के साथ की जल्द देश में काला धन संग्रह कर रहे लोगों पर नकेल कसी जाएगी। परंतु जो रि़जर्व बैंक के आंक़डे सामने आए हैं उससे कुछ विशेष स्पष्टता नहीं मिल रही है। सच तो यह है कि बैंकों में जमा हुई नगदी पर रिजर्व बैंक द्वारा आंक़डों को जारी किए जाने के साथ ही देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली अपनी सरकार की पीठ थपथपाने लगे हैं। साथ ही विपक्षी दल नोटबंदी को पूरी तरह से विफल बता रहे हैं और सरकार के इस ब़डे फैसले पर तंज कसते ऩजर आ रहे हैं। फिलहाल यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि आखिरकार नोटबंदी सफल रही या विफल। इस विषय पर तो रिजर्व बैंक ने भी चुप्पी साध रखी है। जिस तरह से यह बात सामने आयी है कि करीब एक फीसदी नोट छो़डकर शेष नोट बैंकों में लौट आए हैं तो ऐसा ही लग रहा है कि कालेधन वालों के साथ बैंकिंग क्षेत्र के अधिकारी मिल गए और सरकार भी ऐसा होने से रोक नहीं पायी। करीब-करीब सारा काला धन किसी न किसी बहाने से बैंकों में जमा कर दिया गया है और यह बात चलन से बाहर किए गए नोटों के ९८.९६ फीसद बैंकों में वापस पहुंच जाने से पुष्ट हो जाती है। हमारा दुर्भाग्य ही है कि केवल १६,०५० करो़ड रुपये ही कालेधन के रूप में नष्ट हुए और इस राशि में ऐसे नोट भी शामिल होंगे जिन्हंे ंलोग बदलवा नहीं सके। नोटबंदी के बाद यह माना जा रहा था कि लगभग तीन से चार लाख करो़ड रुपए तक की राशि कालेधन के रूप में नष्ट होगी परंतु असली आंक़डा बहुत ही कम निकला। रिजर्व बैंक के आंक़डे के आधार पर नोटबंदी को प्रत्यक्ष सफलता के तौर पर रेखांकित नहीं किया जा सकता। सरकार अपने इस महत्वाकांक्षी फैसले के प्रभाव को सफल मान रही है और साथ ही टैक्स का दायरा ब़ढना, लाखों दिखावटी कंपनियों के बारे में सरकार को जानकारी मिलना और साथ ही कैशलेस लेन देन में वृद्धि होना इस योजना से ज़ुडी उपलब्धियों के रूप में देख रही है। सच भी यही है कि यह उपलब्धियां काफी महत्वपूर्ण हैं और इनके जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने का सुनहरा अवसर सरकार को मिल रहा है। सरकार द्वारा की गई कार्यवाही में अनेक बैंकों के ऐसे अधिकारियों को अपनी नौकरी गंवानी प़डी जिनपर कालेधन का लेन देन के आरोप लगे। परंतु सरकारी कार्रवाई पूर्ण नहीं मानी जा सकती है। सरकार को अभी भी इस दिशा में कई क़डे फैसले लेने होंगे जिससे कालेधन पर नकेल कसी जा सकती है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया दपरे: कारगिल युद्ध के वीरों के सम्मान में सेंट्रल हॉस्पिटल ने रक्तदान शिविर लगाया
अस्पताल दिवस समारोह भी मनाया
कर्नाटक सरकार ने रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलूरु दक्षिण करने का फैसला किया
मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंटल सेंटर ने कारगिल युद्ध विजय की 25वीं वर्षगांठ मनाई
एमयूडीए मामला: प्रह्लाद जोशी ने सिद्दरामैया पर आरोप लगाया, सीबीआई जांच की मांग की
भोजनालयों पर नाम प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश पर योगी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में क्या दलील दी?
'विपक्षी दल के रूप में काम नहीं कर रही भाजपा, कुछ भी गलत या घोटाला नहीं हुआ'
कांग्रेस ने कारगिल के शहीदों को दी श्रद्धांजलि- 'देश सदैव उनका ऋणी रहेगा'