ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी

ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी

प्रधानमंत्री मोदी मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के तुरंत बाद ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन रवाना हो गए। इस सम्मलेन में उन्होंने विशेष तौर पर आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित करने की पहल की है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खात्मे के लिए एक मुहिम की शुरुवात करने की मांग की है और साथ ही इस मुहिम की अगुवाई करने के लिए तैयार भी ऩजर आए हैं। ब्रिक्स सम्मलेन में अपने भाषण के दौरान मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी का प्रस्ताव पेश किया। इस सम्मलेन में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर ने विश्व में कैंसर की तरह ब़ढ रहे आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई का समर्थन भी किया। ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे भारत को ब़डी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। जहाँ एक तरफ चीन की ख्वाइश थी कि भारत ब्रिक्स सम्मलेन में पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह के आरोप न लगाए और पाकिस्तान को आतंकवाद से न जो़डकर देखा जाए वहीं दूसरी और ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र में आतंकवाद की क़डी निंदा की गई। ब्रिक्स देशों के समक्ष आतंकवाद एक ब़डी चुनौती बन चुका है और क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के साथ-साथ आईएसआईएस और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क एवं तालिबान जैसे आतंकी गुटों से खतरा बना रहता है। ब्रिक्स समूह ने इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा से आतंकवाद की निर्धारित परिभाषा तय करने की भी मांग की है। ब्रिक्स सम्मलेन में प्रधानमंत्री मोदी वास्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को भारत के महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में शामिल कहा और साथ ही उनकी सरकार द्वारा शुरु किए गए डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों से भारत को हो रहे लाभ गिनाए। वैश्विक मंच पर अपनी सरकार की योजनों का उल्लेख कर मोदी ने इन पर जागरूकता भ़डकाने का काम किया। साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर से मुलाकात कर सरकारों के बीच व्यापार एवं निवेश, आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श भी किया। इस सम्मलेन के बाद ब्रिक्स देशों के बीच सूचनाओं का अधिक आदान प्रदान हो सकता है जिसके जरिए सभी सदस्य देशों में कर चोरी रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये जा सकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक मुद्दों पर अपना पक्ष रखने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हैं और शायद इसी का परिणाम है कि अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत का समर्थन करने वाले देशों की संख्या लगातार ब़ढती जा रही है।

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