जल संकट का सामना कर रहे कर्नाटक में इसके बेजा इस्तेमाल पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव
कर्नाटक पिछले दो दशक में 15 वर्षों से अधिक समय तक सूखे से ग्रस्त रहा है
बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक देश में पानी की समस्या से जूझ रहे राज्यों में से एक है और वहां का करीब 61 प्रतिशत इलाका सूखा प्रभावित क्षेत्र में आता है। राज्य की जल नीति 2022 में आगाह किया गया है कि आने वाले वक्त में बारिश में कमी आएगी और सूखा प्रभावित क्षेत्र बढ़ेंगे, जो गंभीर चिंता का विषय है।
कर्नाटक पिछले दो दशक में 15 वर्षों से अधिक समय तक सूखे से ग्रस्त रहा है। ऐसे में भविष्य में राज्य के लिए हालात और चुनौतीपूर्ण होने की आशंका है, क्योंकि विभिन्न परियोजनाओं के लिए पानी की मांग बढ़ेगी और भूजल का स्तर पहले से ही घट रहा है।जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चुनौती से निपटने के लिए जल नीति में कई पहलों का जिक्र किया गया है, जिनमें पानी के बेजा इस्तेमाल पर जुर्माना लगाना और भूजल निकालने पर रोक आदि शामिल हैं। इन प्रस्तावों का मकसद जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत करना और राज्य के सीमित जल संसाधन का सर्वक्षेष्ठ इस्तेमाल सुनिश्चित करना है।
राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस नीति को मंजूरी दी है। नीति में कहा गया है, ‘कर्नाटक के जलवायु परिवर्तन अध्ययनों ने संकेत दिया है कि राज्य में लंबे समय तक गर्मी रहने और वर्षा बेहद कम होने के आसार हैं। ऐसे में सूखा प्रभावित क्षेत्र बढ़ेगा।’
इसमें कहा गया है, ‘खरीफ के मौसम में उत्तर के अधिकतर जिलों में सूखे की घटनाओं में 10 से 80 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। वहीं, कुछ जिलों में सूखे की घटनाएं लगभग दोगुनी हो सकती हैं। भारी वर्षा के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ आना सामान्य बात होती जा रही है....।’
विभाग ने नीति में कहा, ‘राज्य में सिंचाई के लिए भूजल अहम स्रोत है। राज्य में 56 प्रतिशत क्षेत्र में भूजल से सिंचाई होती है। ऐसे में भूजल स्तर का गिरना और इसमें प्रदूषण बढ़ना चिंता का मुख्य विषय है।’
नीति के अनुसार, राज्य सरकार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इस्तेमाल के लिए उपयुक्त गुणवत्तापूर्ण पानी की प्रतिदिन 24 घंटे आपूर्ति के लिए पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम चलाएगी।