भावी मुख्यमंत्री के रूप में येड्डीयुरप्पा का पत्ता काटने की भीतरी कोशिश?

भावी मुख्यमंत्री के रूप में येड्डीयुरप्पा का पत्ता काटने की भीतरी कोशिश?

बेंगलूरु। कर्नाटक में भाजपा के मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किये जा चुके प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बीएस येड्डीयुरप्पा को पार्टी के भीतर रह रह कर असंतोष का सामना करना प़ड रहा है। भितरखाने के ही कुछ लोग ऐसी खबरें फैलाने में जुटे हैं कि वह विधानसभा चुनाव नहीं ल़डेंगे, जो अप्रैल-मई में होने जा रहा है। चर्चा है कि पार्टी के मुखर हिंदुवादी युवा नेता अनंत कुमार हेग़डे और मैसूरु के सांसद प्रताप सिम्हा भी राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वे स्वयं कुछ नहीं कह रहे परन्तु अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि हेग़डे को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने से अटकलों को बल मिला है। फिलहाल येड्डीयुरप्पा कर्नाटक में ७५ दिन के चुनावी दौरे ’’परिवर्तन यात्रा’’ में व्यस्त हैं्। भाजपा ने इससे पहले उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान ४९ दिन की ऐसी ही यात्रा शुरू की थी। जानकारों के मुताबिक, भाजपा को राज्य में प्रचंड बहुमत दिलाने में उस यात्रा का अहम रोल रहा था। येड्डीयुरप्पा के समर्थक उनके खिलाफ अफवाहों को उनका पत्ता काटने और २२४ सदस्यों वाली विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में १५० से ज्यादा सीटों के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के टारगेट को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाने की कोशिश बता रहे हैं। प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और येड्डीयुरप्पा के एक करीबी ने कहा, ’’निश्चित है कि वह (येड्डीयुरप्पा) अपनी विधानसभा सीट शिकारीपुरा से चुनाव ल़डेंगे। उनके चुनाव नहीं ल़डने की अफवाह फैलाकर उन्हें नीचा दिखाने और सीएम कैंडिडेट के तौर पर उनका पत्ता काटने की कोशिश है। पहले उनकी सीट बदलवाने की कोशिश भी हुई थी। यह सब सच नहीं है, फिर भी इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला टूटता है।’’ कुछ वर्षों पहले तक येड्डीयुरप्पा के सबसे ब़डे प्रतिद्वंद्वी माने जाते रहे केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंतकुमार ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ हाल में एक बैठक के बाद उनकी (येड्डीयुरप्पा) बहुत तारीफ की थी। उन्होंने कहा कि पार्टी परिवर्तन यात्रा को कामयाब बनाने के लिए एकजुट है। येड्डीयुरप्पा राज्य के सभी २२४ विधानसभा क्षेत्र में जाने वाले पहले लीडर होंगे। पार्टी उनके साथ है। कांग्रेस की तरह बंटी हुई नहीं है। वहीं, केंद्रीय कौशल विकास मंत्री अनंत कुमार हेग़डे और मैसूरु के सांसद प्रताप सिम्हा भी पार्टी नेतृत्व का ध्यान अपनी तरफ खींचने में जुटे हैं। दोनों खासतौर पर हिंदुत्व के मोर्चे पर आगे ब़ढकर कदम उठा रहे हैं और शाह भी शायद यही चाहते हैं। उधर हिंदुत्व पर येड्डीयुरप्पा नरम रुख अपनाते रहे हैं और दोनों में किसी का समर्थन करने से परहेज करते रहे हैं लेकिन कर्नाटक बीजेपी प्रमुख के तौर पर उनके खिलाफ कोई कदम भी नहीं उठा रहे हैं। फ्ैंत्ररु्यध्त्र द्यप्स्द्भय् ृझ्द्मय् द्यब्ष्ठ ब्स्र द्भष्ठरर्‍द्भरुद्य्रझ्य् लगभग पांच दशक लंबे राजनीतिक कैरियर में कई अंदरूनी ल़डाई ल़ड चुके येड्डीयुरप्पा दोनों नेताओं के आग उगलते भाषणों के खतरों को अपनी करीबी सहयोगी शोभा करंदलाजे के जरिए हैंडल कर रहे हैं्। एक पार्टी सूत्र ने कहा, ’’येड्डीयुरप्पा संतुलित रवैया अपना रहे हैं। वह नरम रुख वाले हैं, पार्टी का शांत चेहरा हैं। हेग़डे के बयानों से येड्डीयुरप्पा नाखुश भी हैं क्योंकि उन्हें लगता है ऐसे बयान पार्टी को वोट दिलाने के बजाय नुकसान भी करवा सकते हैं।

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