राज्यपाल विद्यासागर की चुप्पी बनी पलानीस्वामी के लिए फायदेजनक

राज्यपाल विद्यासागर की चुप्पी बनी पलानीस्वामी के लिए फायदेजनक

चेन्नई। राज्य की राजनीति में उठा तूफान पिछले एक पखवा़डे से थमने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरी तरफ राज्यपाल सी विद्यासागर राव खामोश हैं और चुप्पी तो़डने को तैयार नही हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एमके स्टालिन अन्य विपक्षी दलों के नेता सीताराम येचुरी, डी राजा और आनंद शर्मा के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर गुहार लगा चुके हैं फिर भी नतीजा वही ढाक के तीन पात। हालांकि इसका लाभ मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी को भरपूर मिल रहा है। विधायकों की संख्या जो घटकर ८५-८६ के करीब पहुंच गई थी, व़क्त के साथ १११ तक पहुंच गई है। बहुमत के लिए हालांकि ११८ विधायकों का समर्थन जरूरी है। €द्भय् ंफ्यध्ॅ द्यय्ःद्भझ्य्ध्द्मष्ठ द्मब्र्‍्र ्यख्रद्भय् ्यद्मख्रश्चष्ठप्रय्?गौरतलब है कि अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के १३४ विधायकों में से १९ विधायक मुख्यमंत्री से समर्थन वापस लेने का पत्र राज्यपाल को सौंपकर, टीटीवी दिनाकरण के साथ पुदुच्चेरी के एक रिसोर्ट में जाकर पहले ही सरकार को अल्पमत में ला चुके हैं। राज्यपाल की चुप्पी के पीछे की वजह के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अन्नाद्रमुक के दोनों ध़डों का विलय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर हुआ है और वह इस हकीकत से अच्छी तरफ वाकिफ हैं। यही कारण है कि उन्होंने अभी तक मुख्यमंत्री पलानीस्वामी सरकार को विधानसभा में विश्वासमत साबित करने के लिए नहीं कहा है।्यप्झ्ूय्र्‍ झ्य्यट्टश्चद्भय्ैं द्यय्ःद्भझ्य्ध्झ्द्य ध्ख्य् द्यब्र्‍ ब्स्र ृय्द्यह्झ्राज्यपाल के इस रवैये से राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) एवं अन्य विपक्षी पार्टियां बौखलाई हुई हैं। विपक्ष का आरोप है कि राज्यपाल विद्यासागर राव द्वारा टीटीवी दिनाकरण खेमे के साथ-साथ मुख्य विपक्षी पार्टियों की बात नहीं सुनने के कारण मुख्यमंत्री को विधायकों की खरिद फरोख्त करने का मौका भरपूर मिल रहा है। कानूनी और संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि वह अल्पमत की सरकार को अपरोक्ष रुप से विधायकों की खरिदफरोख्त करने का मौका दे रहे हैं।फ्द्य·र्ैंय्द्य ्यख्द्यय्द्मष्ठ द्बष्ठ्र ज्रुट्टष्ठ ्यप्झ्ूय्र्‍द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन राज्यपाल पर हमलावर हो रहे हैं और बार-बार उन पर निशाना साध रहे हैं। राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को विश्वासमत हासिल करने का निर्देश नहीं देने के बाद अब टीटीवी दिनाकरण के साथ ही स्टालिन भी इस कोशिश में जुट गए हैं कि राज्य की मौजूदा सरकार को कैसे गिराया जाए। शुक्रवार को तो उन्होंने यह दावा भी कर दिया कि यह सरकार किसी भी समय गिर सकती है। अगर वह चाहें तो यह सरकार एक सेकेंड में गिर सकती है। इससे पूर्व वह अपनी पार्टी के कैडरों को सत्ता में आने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार करने के लिए भी कह चुके हैं। स्टालिन के साथ ही दिनाकरण भी बार-बार पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की बात कर रहे हैं।्यप्थ्य्द्मफ्द्नय् ृक्द्भूय् र्ट्ठय्फ्·र्ैंत्रष्ठ ब्स्र ंफ्·र्ैंय् र्ड्डैंय्द्भख्रय्संविधान विशेषज्ञों के अनुसार यदि राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तब विधानसभा अध्यक्ष इसका नाजायज लाभ उठा सकते हैं। वह असंतुष्ट विधायकों की सदस्यता को खत्म कर सदन की संख्या को कम कर सकते हैं ताकि सरकार अल्पमत से उबर सके। हालांकि संविधान विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि राज्यपाल ज्यादा दिनों तक इसे नहीं टाल सकते हैं। सत्र आज नहीं तो कल होगा ही, पिछला सत्र जुलाई में हुआ था ऐसे में नवंबर में तो सत्र होना तय है। ऐसे में आगामी विधानसभा सत्र के दौरान पहले से एकजुट हो चुकी विपक्षी पार्टियों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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