कश्मीर की तरह कर्नाटक चाहता है राज्य का अलग झंडा?
कश्मीर की तरह कर्नाटक चाहता है राज्य का अलग झंडा?
बेंगलूरु। कर्नाटक एक नए विवाद की ओर बढता दिख रहा है क्योंकि राज्य ने अलग झंडे की मांग को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कर्नाटक सरकार ने नौ सदस्यों की कमेटी बनाई है जो झंडे का डिजाइन तय करेगी और इस झंडे को कानूनी मान्यता दिलाने की संभावनाओं पर अध्ययन करेगी। अभी तक देश में सिर्फ जम्मू कश्मीर ही ऐसा राज्य है जिसके पास अपना अलग झंडा है। दरअसल कर्नाटक में लम्बे अरसे से कुछ राजनीतिज्ञों सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य के लिए अलग झंडे की मांग की जाती रही है। इस मांग के तहत इनका मानना है कि कर्नाटक का अपना एक स्वतंत्र ध्वज होना चाहिए जिसे कानूनी मान्यता मिली हो और यह राष्ट्र ध्वज तिरंगे की भांति पूरे राज्य में अनिवार्य रूप से फहराया जाए। पत्रकार सह लेखक तथा कर्नाटक विद्यावर्धक संघ, धारवा़ड के अध्यक्ष पाटिल पुट्टप्पा एवं सामाजिक कार्यकर्ता भीमप्पा गुंडप्पा गदडा ने इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष रखा था जिसके बाद कर्नाटक की मौजूदा कांग्रेसनीत सिद्दरामैया सरकार ने राज्य के कन्ऩड एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की है। पुट्टप्पा और गुंडप्पा चाहते हैं कि कर्नाटक सरकार राज्य के विशेष झंडे को कानूनी मान्यता प्रदान कराए और उन्हीं की मांग और सिफारिशों पर सरकार ने समिति का गठन किया है। वर्ष-२०१४ में ही पुट्टप्पा ने इस संबंध में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के लिए एक अलग झंडे को कानूनी मान्यता प्रदान कराने के लिए एक समिति के गठन की जरुरत है। समिति में अन्य सदस्यों के रूप में कार्मिक एवं प्रशासनिक सेवा, गृह, कानून और संसदीय मामलों के सचिवों के अतिरिक्त कन्ऩड साहित्य परिषद के अध्यक्ष, कन्ऩड विकास प्राधिकरण के चेयरमैन, कन्ऩड यूनिवर्सिटी हम्पी के कुलपति और कन्ऩड एवं संस्कृति विभाग के निदेशक होंगे। प्प्तश्च-ु्र्रुींु द्बष्ठ्र द्नर् र्ट्ठर् त्र्र् द्बय्ैंख्वर्ष २०१२ में भी इस तरह की मांग उठी थी, लेकिन वहां की तत्कालीन भाजपा सरकार ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि यह कदम देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है। जब वर्ष-२०१२ में यह मुद्दा राज्य की विधानसभा में उठाया गया तो उस समय के संस्कृति मंत्री गोविंद एम करजोल ने कहा था, फ्लैग कोड हमें राज्य के लिए अलग ध्वज की इजाजत नहीं देता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक है। यदि राज्य का अलग झंडा होगा तो यह हमारे राष्ट्रीय ध्वज का महत्व भी कम करेगा। ऐसा होने पर लोगों में प्रांतवाद की भावना को भी ब़ढावा मिलेगा। ्यप्फ्घ्रुद्मय्प् ·र्ष्ठैं ्ययब्य्ज् फ्ष्ठ ृब्द्बदरअसल कर्नाटक में अगले वर्ष-२०१८ में राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राज्य के लिए अलग झंडे की मांग को राजनीतिक स्टंट के रूप में भी देखा जा रहा है। झंडे की मांग को अगर केन्द्र सरकार नकारती है तो राज्य की मौजूदा सत्ताधारी दल के पास केन्द्र के खिलाफ मुखर होने का एक मौका मिल जाएगा। साथ ही राज्य की संप्रभुता और मुद्दे के भावनात्मक स्वरूप को देखते हुए विपक्षी दल भाजपा और जनता दल (एस) भी खुलकर इसका विरोध नहीं करेंगे क्योंकि इससे कन्ऩड एवं कर्नाटक विरोधी होने का ठप्पा लग जाएगा। पिछले दिनों बेंगलूरु मेट्रो में कन्ऩड और अंग्रेजी के साथ हिंदी में लिखे नाम देखकर कुछ लोगों ने राज्य पर हिंदी को थोपने का आरोप लगाया था। इसके बाद कांग्रेस सरकार के इस कदम को अगला प़डाव बताया जा रहा है। और कश्मीर को छो़डकर देश के किसी भी अन्य राज्य के लिए कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त कोई भी ध्वज नहीं है। सांस्कृतिक और क्षेत्रीय दृष्टिकोण से झंडे फहराए जातेे हैं लेकिन ऐसे झंडे किसी राज्य या क्षेत्र का कानूनी रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वहीं भारतीय राष्ट्र ध्वज नियमों के अनुसार कोई भी ध्वज तिरंगे का अपमान नहीं कर सकता। साथ ही कोई भी दूसरा ध्वज अगर तिरंगे के साथ फहराया जाता है तो उसे तिरंगे से नीचे रखा जाएगा। हालांकि जम्मू और कश्मीर का अलग ध्वज इसलिए है क्योंकि राज्य को धारा-३७० के तहत विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है।
मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा, राज्य के लिए अलग ध्वज के मुद्दे का चुनाव से कोई लेनादेना नहीं है। अगर भाजपा विरोध कर रही है तो खुलकर कहें कि वो राज्य के झंडे के खिलाफ हैं? क्या संविधान में कहीं लिखा है कि राज्य खुद का झंडा नहीं बना सकते?·र्ैंय्ैंख्श्नष्ठफ् द्मष्ठ फ्द्य·र्ैंय्द्य फ्ष्ठ फ्र्ड्डैंय्ंश्च द्बय्ैंख्र्कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से सफाई मांगी है। हम सबके पास सिर्फ एक झंडा है और वह राष्ट्रध्वज तिरंगा है।फ्ख्रय्द्मैंख्र ख्ह्रठ्ठणक्कय् द्मष्ठ द्बय्ैंख् ·र्ैंह् द्म·र्ैंय्द्यय्कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौ़डा ने इस फैसले को पूरी तरह नकार दिया है। गौ़डा ने कहा, भारत एक देश है और देश में दो झंडे नहीं हो सकते हैं। ·र्ष्ठैं़त्त्श्नर्द्भ ख्ल्ब्द्बैंख़य्य्यद्भ द्मष्ठ झ्श्नडत्रय्प् क्वय्यद्यज् ्य·र्ैंद्भय्कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को गृह मंत्रालय से ब़डा झटका लगा है। गृह मंत्रालय ने कर्नाटक के लिए अलग झंडे के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। गृह मंत्रालय ने कहा, फ्लैग कोड के तहत सिर्फ एक झंडे को मंजूरी दी गई है और एक देश तथा एक झंडा ही होगा।
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