लॉकडाउन में देवेगौड़ा के पोते की शादी, ट्विटर पर फूटा लोगों का गुस्सा- कानून सिर्फ गरीबों के लिए है?
लॉकडाउन में देवेगौड़ा के पोते की शादी, ट्विटर पर फूटा लोगों का गुस्सा- कानून सिर्फ गरीबों के लिए है?
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए एक ओर जहां आम नागरिक अपने घरों में बैठे हैं और तमाम तकलीफों के बीच यह उम्मीद लगाए हुए हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से वायरस के संक्रमण की शृंखला टूटेगी और यह बीमारी काबू में आएगी। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इन बातों की परवाह नहीं है। इस समय उन्हें अपने कार्यों से मिसाल पेश करनी चाहिए थी लेकिन सोशल मीडिया में इनकी तस्वीरें देख लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी शुक्रवार को रेवती संग शादी के बंधन में बंध गए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि ‘क्या लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए हैं? क्या राजनेताओं पर नियम पालन की कोई जिम्मेदारी नहीं है?’ट्विटर पर टाइगर अविनाश नामक एक यूजर ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए लिखा, ‘क्या यह शादी इतनी जरूरी थी? क्या आम आदमी बेवकूफ है जो घर में है, बाहर एटीएम जाता है तो डंडे खाता है? यहां ये सही नहीं हो रहा है।’
Karnataka: Nikhil Kumarswamy, son of former Karnataka CM HD Kumaraswamy, tied the knot with Revathi, the grand-niece of former Congress Minister for Housing M Krishnappa, today in Bengaluru. pic.twitter.com/HrLpGD5s9p
— ANI (@ANI) April 17, 2020
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एक अन्य यूजर ने इस पर हैरानी जताई कि शादी में मौजूद कोई भी शख्स मास्क लगाए हुए नहीं है। यहां तक कि दूल्हा-दुल्हन भी एहतियात के सामान्य नियमों की धज्जियां उड़ाते दिखाई दिए। यूजर लिखते हैं कि यह राजनेताओं का परिवार है जिन्हें सभी नियम-कानून तोड़ने की छूट होती है।
इन सबके बीच, कुछ यूजर्स ने यह मांग की कि बेंगलूरु पुलिस इस आयोजन की जांच करे और दोषियों को गिरफ्तार करे। हालांकि, एक यूजर लिखते हैं कि पुलिस कार्रवाई से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कुमारस्वामी के परिवार ने लॉकडाउन नियमों का सम्मान क्यों नहीं किया।
इसी प्रकार, एक अन्य यूजर ने लिखा कि अगर कोई आम परिवार इस तरह शादी का आयोजन कर लेता (जो कि अनुचित होता) तो पुलिस वहां पहुंचकर सबको जमकर पीटती, लेकिन मामला चूंकि ‘बड़े लोगों’ का है तो सबकुछ माफ है। हम बाहर सामान लेने के लिए भी जाते हैं तो डंडे पड़ते हैं। क्या नियम-कानून सिर्फ गरीबों के लिए होते हैं?