सर्वाधिक आबादी वाला देश बनने से सुरक्षा परिषद में भारत का दावा कितना मजबूत होगा?
‘विश्व जनसंख्या संभावना 2022’ रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में अगले साल चीन को पीछे छोड़ देने की उम्मीद है
संयुक्त राष्ट्र/भाषा। भारत अगर 2023 में चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाता है तो इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की उसकी दावेदारी को बल मिल सकता है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रखंड के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।
‘विश्व जनसंख्या संभावना 2022’ रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में अगले साल चीन को पीछे छोड़ देने की उम्मीद है। यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। इसके मुताबिक 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है जबकि चीन की आबादी 1.426 अरब है।भारत 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पछाड़ देगा और उसकी आबादी अनुमान के मुताबिक 2050 में 1.668 अरब होगी, जो सदी के मध्य तक चीन की अनुमानित 1.317 अरब आबादी से बहुत आगे है।
संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक व आर्थिक मामलों के विभाग के जनसंख्या प्रखंड द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक जनसंख्या 15 नवंबर, 2022 को आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है। वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। वर्ष 2020 में यह घटकर एक प्रतिशत से भी कम रह गई।
संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक व आर्थिक मामलों के विभाग (डीईएसए) के जनसंख्या प्रखंड के निदेशक जॉन विल्मोथ ने सोमवार को कहा कि सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में उभरने से भारत का ‘‘कुछ चीजों पर दावा’’ हो सकता है।
रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत के चीन से आगे निकलने के प्रभाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में सबसे बड़ी आबादी होने का क्या महत्व है? मुझे लगता है कि चीजों पर आपके कुछ दावे हैं। मुझे आश्चर्य है कि चारों ओर चर्चा के संदर्भ में क्या होगा ... संयुक्त राष्ट्र में भूमिकाएं और सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्यों की भूमिकाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत सबसे बड़ा (आबादी के लिहाज से) देश बन जाता है, तो वे सोच सकते हैं कि इससे इसका हिस्सा होने संबंधी उनका दावा मजबूत हो जाता है ... वे दावा करते रहे हैं कि उन्हें वैसे भी उस समूह (सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य) का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन, आप जानते हैं, इससे उनके दावे को निश्चित रूप से मजबूती मिल सकती है।’’
भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से हो रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है। उसका दावा है कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में स्थान पाने का हकदार है, जो अपने वर्तमान स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।