कुन्नूर से पहले इन हवाई दुर्घटनाओं में भी देश के वीर सपूतों की गई थी जान
पुंछ में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना को देश के विमान इतिहास में हुए सबसे बड़े हादसे में से एक के तौर पर याद किया जाता है
नई दिल्ली/भाषा। तमिलनाडु में कुन्नूर के निकट बुधवार को हुई एक एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना ने 1963 में जम्मू कश्मीर के पुंछ में हुई एक अन्य दुर्घटना की याद दिला दी, जिसमें छह सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी।
तमिलनाडु में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और 11 अन्य की मृत्यु हो गई।पुंछ में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना को देश के विमान इतिहास में हुए सबसे बड़े हादसे में से एक के तौर पर याद किया जाता है। 22 नवंबर, 1963 को हुए इस हादसे में लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, एयर वाइस मार्शल ई डब्ल्यू पिंटो, मेजर जनरल केएनडी नानावती, ब्रिगेडियर एसआर ओबेरॉय और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एसएस सोढ़ी की मृत्यु हो गई थी।
कुन्नूर में हुआ हादसा 1952 में लखनऊ के पास डेवन क्रैश की याद भी दिलाता है जिसमें भारतीय सेना का भावी शीर्ष नेतृत्व समाप्त हो सकता था। उस हादसे में सेना की पश्चिमी कमान के तत्कालीन प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसएम श्रीगणेश और क्वार्टरमास्टर जनरल, मेजर जनरल के एस थिमैया बाल-बाल बच गए थे।
वे दोनों बाद में सेना प्रमुख बने थे। उस हेलीकॉप्टर में मेजर जनरल एसपीपी थोराट, मेजर जनरल मोहिंदर सिंह चोपड़ा, मेजर जनरल सरदानन्द सिंह और ब्रिगेडियर अजायब सिंह सवार थे। मेजर जनरल थोराट को बाद में पूर्वी कमान का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
डेवन विमान के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुहास विश्वास को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2019 में उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और आठ अन्य सैन्यकर्मी पुंछ सेक्टर में हुई एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में घायल हो गए थे।
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