जब पूरा गांव सोया पाकिस्तान में और उठा हिंदुस्तान में!
जब पूरा गांव सोया पाकिस्तान में और उठा हिंदुस्तान में!
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अस्तित्व में आने के साथ ही नफरत और आतंकवाद की नीति पर चल पड़ा। इसी का नतीजा है कि आज उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और वह दुनियाभर में दहशतगर्दी के लिए जाना जाता है।
अपने हालात को बेहतर बनाने के बजाय आज भी वह ख्वाब देख रहा है कि किसी तरह कश्मीर पर कब्जा कर ले। भारतीय सुरक्षा बलों ने हर बार उसके इस नापाक इरादे को धूल में मिला दिया। साल 1971 के युद्ध में पाक को करारा जवाब मिला और उसके दो टुकड़े हो गए।उस दौरान भारतीय सेना के साथ एक खास मोर्चे पर हुई लड़ाई हमेशा याद रखी जाएगी जब लोग रात को सोए तो पाकिस्तान में थे, लेकिन अगले दिन उठे हिंदुस्तान में! भारतीय सेना ने उनका हिंदुस्तान में स्वागत किया। यह कहानी है जम्मू-कश्मीर के बाल्टिस्तान इलाक़े के तुरतुक गांव की।
यह गांव ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। किसी जमाने में इसी रास्ते से कारोबारियों का काफिला गुजरता था और विदेशों से व्यापार होता था। साल 1971 के युद्ध तक इस गांव पर पाकिस्तान का कब्जा था। वह यहां से भारत पर हमले के लिए षड्यंत्र रचता रहता था।
जब युद्ध छिड़ा तो दोनों ओर से भयंकर गोलाबारी हुई। हालांकि भारतीय सेना के पराक्रम के सामने पाकिस्तान के पांव उखड़ने लगे। पाकिस्तानी फौज चार घंटे बाद ही मैदान छोड़कर भाग गई। इस प्रकार तुरतुक गांव दोबारा भारत का अभिन्न अंग बन गया।
दूसरे दिन सुबह भारतीय सेना के जवानों ने ग्रामीणों को चाय पिलाकर स्वागत किया और कहा कि सुरक्षा बल हमेशा आपकी मदद के लिए तैयार हैं। इस गांव के बुजुर्ग आज भी उस युद्ध को याद करते हैं। एक महिला ने बताया कि 14 दिसंबर की रात को सभी ग्रामीण अपने-अपने घरों में थे और दोनों देशों की सेनाएं युद्ध कर रही थीं।
इस तरह अगले दिन का सूर्योदय तुरतुक गांव के लिए नया उजाला लेकर आया। आज यह गांव पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। वे प्रकृति की छटा निहारने के साथ ही भारतीय सेना के शौर्य को नमन करने भी इस गांव में आते हैं।