मौत के बाद कब्रिस्तान में नहीं मिली दो गज जमीन, हिंदुओं ने श्मशान में दफनाने की दी इजाजत

मौत के बाद कब्रिस्तान में नहीं मिली दो गज जमीन, हिंदुओं ने श्मशान में दफनाने की दी इजाजत

मौत के बाद कब्रिस्तान में नहीं मिली दो गज जमीन, हिंदुओं ने श्मशान में दफनाने की दी इजाजत

प्रतीकात्मक चित्र

हैदराबाद/दक्षिण भारत। कोरोना महामारी के बीच हैदराबाद में कुछ लोगों ने सद्भाव की मिसाल पेश की है। यहां एक मुस्लिम शख्स का देहांत हुआ तो उसके अपनों ने कब्रिस्तान में दफनाने के लिए जमीन देने से इंकार कर दिया। गमगीन परिजन ने दूसरे कब्रिस्तानों में जाकर अनुरोध किया लेकिन सभी ने मदद से इंकार किया। आखिर में दो लोग उनकी मदद को आगे आए और हिंदू समाज ने श्मशान घाट में दफनाने के लिए जमीन दी।

Dakshin Bharat at Google News
जानकारी के अनुसार, खाजा मियां (55) नामक व्यक्ति की मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई थी। उसे दफनाने के लिए जब कब्रिस्तान की जरूरत पड़ी तो पास के कब्रिस्तान के कर्मचारियों ने कोरोना वायरस के डर की वजह से मना कर दिया।

इस संबंध में खाजा मियां की पत्नी ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा पहली बार देखा जब दफनाने के लिए परिवार को ऐसी परेशानी हुई। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्य शव को दफनाने के लिए भटकते रहे। इस दौरान उन्होंने कई कब्रिस्तानों के चक्कर लगाए लेकिन कोई मदद के लिए तैयार नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि एक कब्रिस्तान में तो कब्र खोद ली गई लेकिन बाद में लोगों ने उसे रुकवा दिया। इस घटना के बारे में संदीप और शेखर को मालूम हुआ तो वे इस परिवार की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने खाजा मियां को दफनाने के लिए श्मशान घाट में जमीन दिलवाई।

परिवार ने बताया कि ऐसे हालात में शव को गांव नहीं ले जाया जा सकता था, जो कि करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित है। इस शोक की घड़ी में परिवार को शव को दफनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, सोशल मीडिया में संदीप और शेखर के प्रयासों की तारीफ की जा रही है। यूजर्स का कहना है कि मुसीबत के समय सहायता के लिए तत्पर रहना और दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझना ही भारतीय संस्कृति है।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download