कैराना से हिंदुओं के पलायन से सुर्खियों में रहे गैंगस्टर मुकीम के लिए 14 मई ऐसे बनकर आई काल
कैराना से हिंदुओं के पलायन से सुर्खियों में रहे गैंगस्टर मुकीम के लिए 14 मई ऐसे बनकर आई काल
चित्रकूट/दक्षिण भारत। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की जेल में कैदियों की झड़प के दौरान मारा गया मुकीम काला कुख्यात गैंग्स्टर था। शामली जिले के जहानपुरा गांव के निवासी मुकीम को हाल में सहारनपुर से चित्रकूट जेल लाया गया था, जिस पर लूट, हत्या जैसे दर्जनों गंभीर मामले चल रहे थे।
बता दें कि मुकीम पहले भवन निर्माण कार्यों में हाथ बंटाता था। यहां मजदूरी करते समय उसने अपराध की दुनिया में प्रवेश किया। उसने रंगदारी मांगनी शुरू कर दी। इस दौरान उसने दो लोगों की हत्या भी कर दी थी जो सगे भाई थे।उसकी आपराधिक दुनिया के तार उप्र से निकलकर उत्तराखंड और हरियाणा तक फैले हुए थे। करीब पांच दर्जन आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे मुकीम का नाम कैराना से हिंदुओं के पलायन के दौरान भी चर्चा में रहा था। शामली के अपराधियों में उसकी धाक थी। यहां वारदात उसके इशारे पर होती थीं।
हालांकि 2010 से शुरू हुए अपराध के इस सफर में मुकीम को बुरे दिन तब देखने पड़ गए जब उसने पुलिस को ही निशाने पर ले लिया। उसका गैंग पुलिस की नजरों में आ गया। दिसंबर 2011 में मुस्तफा उर्फ कग्गा नामक अपराधी एनकाउंटर में ढेर हो गया था, जिसके बाद मुकीम ने उसकी कमान हाथ में ले ली। अब वह खुद के इशारे पर अपराध करवाने लगा था।
कहा जाता है कि आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के बाद जब मुकीम को कहीं छिपने के लिए जगह की जरूरत होती, तो वह जहानपुरा स्थित अपने पुश्तैनी घर आ जाता था। हालांकि उसके परिवार के अन्य सदस्य अन्य इलाकों में बसे हुए हैं। उसके अपराधों से कई लोग त्रस्त थे।
मुकीम के लिए 14 मई ज़िंदगी का आखिरी दिन बनकर आया जब सुबह करीब साढ़े 10 बजे चित्रकूट जिला जेल में कैदियों दो गिरोहों के बीच झगड़ा हो गया। इस दौरान गैंगस्टर अंशुल दीक्षित ने मुकीम काला और वाराणसी के शातिर अपराधी मेराज अली की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई में अंशुल भी ढेर हो गया।