पाकिस्तान की जेल से 36 साल बाद लौटा पति तो नम हुईं आंखें, पत्नी ने किया सुहागिन का शृंगार
पाकिस्तान की जेल से 36 साल बाद लौटा पति तो नम हुईं आंखें, पत्नी ने किया सुहागिन का शृंगार
जयपुर/दक्षिण भारत। राजस्थान के गुलाबी शहर जयपुर में आज से 36 साल पहले एक हंसते-खेलते परिवार पर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। 26 साल की उम्र में तीन बच्चों की मां मखनी देवी का सहारा बिछड़ गया। किसी को पता न चल सका कि आखिर पति गजानंद शर्मा कहां चले गए? दिन, महीने और साल गुजरते गए, दुख-दर्द, विरह वेदना और गरीबी में 36 साल गुजार दिए। लेकिन चार महीने पहले गजानंद के जिंदा होने की खबर ने दशकों की पीड़ा को भुला मखनी के चेहरे पर चमक लौट आई। परिवार में खुशियां मनाई जाने लगीं। और करीब तीन दशक से विधवा का जीवन भोग रही मखनी आज फिर सुखी-सुहागिन हो चली।
जी हां, 62 साल की मखनी देवी ने 36 साल बाद पहली बार हरियाली तीज को सुहागिन बन कर शृंगार किया। माथे पर बिंदी और हाथों में मेहंदी भी रचाई। पाकिस्तान की लाहौर सेंट्रल जेल में बंद गजानंद रिहा हो चुके हैं और बॉर्डर पार कर घर पहुंचन चुके हैं। पत्नी मखनी देवी के साथ उनके बेटे-बेटियों को भी गजानंद का बेसब्री से इंतजार था।ये भी पढ़िए: गजानंद शर्मा की रिहाई पर विप्र फॉउंडेशन जोन-18 ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई
करीब चार महीने पहले पता चला कि पति गजानंद जिंदा है। खुशी का कोई ठिकान नहीं था। लेकिन अगले ही पल चिंता और पीड़ा उभर आई जब यह सुना कि वह अभी पाकिस्तान की जेल में बंद है। आंखों से आंसू टपक आए, जिस शख्स के बिना 36 साल तक विधवा की तरह गुजर बसर किया उसकी खबर भी आई तो इस तरह लेकिन जब सरकार और नेताओं ने आश्वासन दिलाया तो आंसू पोंछ फिर से उस दिन का इंतजार करने लगी जब वह पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर अपने आंगन लौटेंगे।
मखनी देवी ने बताया कि पति के जाने के बाद परिवार चलाने के लिए लोगों के घरों में जाकर बर्तन साफ करने, शादियों में पूड़ी बेलने (खाना बनाने), अनाज बीनने और कपड़े धोने तक का काम किया। यह सब तब तक किया जब तक बच्चे बड़े होकर अपने पांव पर खड़े नहीं हो गए।
मखनी ने बताया कि उसने ऐसे दिन भी देखे हैं जब घर में अनाज का एक दाना तक नहीं रहा, बच्चों को जैसे-तैसे खिला-पिला कर सुला देती लेकिन खुद भूखे पेट सोना पड़ा था। गजानंद के लापता होने के बाद मखनी देवी के लिए अपने बच्चों का लालन-पालन सबसे बड़ी चुनौती बनी। दो बेटे राकेश और मुकेश और एक बेटी को जयपुर में रहते हुए पढ़ाया भी और अपने दम पर अच्छी परवरिश भी दी। आज भले ही एक बेटा स्वास्थ्य विभाग में सेवारत है लेकिन परिवार की स्थित अच्छी नहीं है।
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