उम्रकैद काट रहे सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से उच्चतम न्यायालय का इंकार
उम्रकैद काट रहे सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से उच्चतम न्यायालय का इंकार
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्रकैद काट रहे कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को स्वास्थ्य कारणों से अंतरिम जमानत देने से बुधवार को इंकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार की मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन किया और कहा कि उन्हें फिलहाल अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है।सज्जन कुमार को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए पीठ ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व नेता के नियमित जमानत के लिये दायर आवेदन पर जुलाई में विचार किया जाएगा। इसी मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक अन्य दोषी बलवान खोखर ने भी पेरोल पर रिहा करने का अनुरोध किया है।
सीबीआई की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दंगा पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जमानत की अर्जी का विरोध किया जबकि सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि अगर जेल में सज्जन कुमार को कुछ हो गया तो उम्रकैद की सजा उनके लिए मृत्युदंड हो जाएगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर, 2018 को निचली अदालत का 2013 का फैसला पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद सुनाई थी जबकि एक अन्य दोषी बलवान खोखर की उम्रकैद अदालत ने बरकरार रखी थी।
सज्जन कुमार और पूर्व पार्षद बलवान खोखर दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम इलाके में स्थित राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाने की घटना से संबंधित मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।
ये घटनाएं एक-दो नवंबर, 1984 को हुई थीं जब 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के थे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में पांच अन्य दोषियों की सजा भी बरकरार रखी थी।