भारत में कोरोना का सामुदायिक संचरण नहीं, निगेटिव पाए गए 1,000 नमूने
भारत में कोरोना का सामुदायिक संचरण नहीं, निगेटिव पाए गए 1,000 नमूने
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारत में कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद एक रिपोर्ट बड़ी राहत लेकर आई है। इसमें कहा गया है कि भारत में कोरोना के मामले में सामुदायिक संक्रमण के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके लिए लोगों से अचानक नमूने लिए गए और उनकी जांच की गई, तो रिपोर्ट निगेटिव आई। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने दी।
भार्गव ने बताया, सभी रैंडम नमूने जिन्हें हमने गंभीर श्वसन संक्रमण के लिए परीक्षण किया था, वे कोविड-19 के लिए नकारात्मक पाए गए हैं। इससे पता चलता है कि भारत में अभी तक (कोरोना वायरस का) कोई सामुदायिक संचरण नहीं हुआ है।बता दें कि सामुदायिक संचरण की स्थिति तब होती है जब कोई व्यक्ति संबंधित बीमारी की जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाया जाता है लेकिन संक्रमण के स्रोत का पता न चले। यह स्थिति समूचे समुदाय के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होती है। इसमें लोग अनजाने में ही संक्रमण की वजह बनते जाते हैं और वायरस के संचरण की शृंखला का मूल स्रोत तलाश पाना बहुत मुश्किल होता है।
आईसीएमआर ने सामुदायिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईसीयू से मरीजों के रैंडम सैंपल लिए थे। इसमें उन मरीजों के नमूनों को भी शामिल किया गया जिन्हें गंभीर निमोनिया था। ये नमूने जिन लोगों से लिए गए, उनकी ट्रेवल हिस्ट्री और पूर्व में कोरोना मरीज से संपर्क आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
भार्गव ने बताया कि 15 मार्च के बाद से एकत्र किए गए लगभग 1,000 नमूने निगेटिव पाए गए हैं। बता दें कि इस प्रकार के रोग फैलने के चार मुख्य चरण होते हैं। आईसीएमआर के अनुसार, भारत अभी दूसरे चरण में है। पहले चरण में आमतौर पर मामले ‘आयातित’ होते हैं और स्थानीय मूल के नहीं होते हैं।
दूसरा चरण तब होता है जब स्थानीय संचरण होता है, जिसका अर्थ है कि पॉजिटिव पाए गए लोगों का एक वर्ग ट्रेवल हिस्ट्री रखने वाले पॉजिटिव रोगी के संपर्क में आया है। तीसरा चरण समुदाय में रोग का संचरण है। चौथे चरण में संक्रमण के कई समूह होते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि अचानक लोगों से नमूने लेकर उनकी जांच से यह पता लगाया जाता है कि समुदाय में रोग किस स्तर पर फैल रहा है। अगर इनमें से एक भी नमूना पॉजिटिव पाया जाता है तो इसका मतलब होगा कि संक्रमण ने समुदाय में अपना रास्ता बना लिया है। समुदाय में संक्रमण के मामलों का न पाया जाना यह दर्शाता है कि सरकार एवं चिकित्साकर्मियों के प्रयासों और जनता द्वारा बरती जा रही सावधानियों से हालात काफी बेहतर और स्पष्ट रूप से काबू में हैं।