इसरो के पूर्व प्रमुख नायर को आरोपी के तौर पर सम्मन
इसरो के पूर्व प्रमुख नायर को आरोपी के तौर पर सम्मन
नई दिल्ली। एक विशेष अदालत ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर को एंट्रिक्स-देवास करार मामले में आरोपी के तौर पर सम्मन किया। एंट्रिक्स-देवास करार के जरिये सरकारी खजाने को ५७८ करो़ड रुपए का कथित नुकसान पहुंचाने के मामले में नायर को सम्मन भेजा गया है। विशेष जज वीरेंद्र कुमार गोयल ने सीबीआई के आरोप-पत्र का संज्ञान लिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नायर और इसरो एवं अंतरिक्ष विभाग के अन्य अधिकारियों ने एंट्रिक्स की ओर से देवास मल्टी-मीडिया को गलत तरीके से एस-बैंड (इनसैट उपग्रहों की सीमित तरंगें) दिलवाने का काम किया। अदालत ने जांच रिपोर्ट पर गौर किया और नायर एवं इसरो के तत्कालीन निदेशक ए. भास्कर नारायण राव, एंट्रिक्स के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक केआर श्रीधर मूर्ति, अंतरिक्ष विभाग की पूर्व अतिरिक्त सचिव वीणा एस. राव और अन्य को २३ दिसंबर को यहां अदालत में पेश होने के निर्देश दिए। अंतिम जांच रिपोर्ट पर संज्ञान तब लिया गया जब एजेंसी ने अदालत को बताया कि पूर्व लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी संबंधित अधिकारियों से ली जा चुकी है। जांच एजेंसी ने १६ मार्च २०१५ को नायर एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स से निजी मल्टी-मीडिया कंपनी देवास को गलत तरीके से ५७८ करो़ड रुपए का फायदा कराया। सीबीआई ने पिछले साल ११ अगस्त को आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। एजेंसी ने उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एक निजी कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को ५७८ करो़ड रुपए का नुकसान पहुंचाया। यह मामला एंट्रिक्स की ओर से एस-बैंड (वाहनों और मोबाइल फोनों में मोबाइल रिसीवरों को वीडियो, मल्टी-मीडिया और सूचना सेवाएं मुहैया कराने के लिए इनसैट उपग्रहों की सीमित तरंगें) देवास मल्टी-मीडिया को लीज पर देने से जु़डा है।