आय से अधिक संपत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय में फर्जी दस्तावेज पेश करने के विवाद में घिरे मुलायम

आय से अधिक संपत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय में फर्जी दस्तावेज पेश करने के विवाद में घिरे मुलायम

mulayam singh yadav

नई दिल्ली/लखनऊ/दक्षिण भारत। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव उच्चतम न्यायालय में फर्जी दस्तावेज पेश करने के विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। दरअसल मुलायम पर आरोप है कि उन्होंने आय से अधिक संपत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर करने के लिए सीबीआई जांच की फर्जी रिपोर्ट लगाई है। अब मुलायम और उनके परिजनों द्वारा उक्त मामले में दाखिल हलफनामे को लेकर आदेश खारिज कर जांच की मांग की गई है।

Dakshin Bharat at Google News
उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 25 मार्च को एक याचिका पर सीबीआई और मुलायम सिंह से जवाब मांगा। याचिका कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने दायर की थी। साल 2007 में इस याचिका के जरिए विश्वनाथ ने मुलायम सिंह और उनके बेटों अखिलेश व प्रतीक पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई द्वारा उठाए गए कदमों की जांच कराने की मांग की गई थी।

वहीं, मुलायम की ओर से न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि विश्वनाथ चतुर्वेदी राजनीतिक विवाद को अदालत में लेकर आ रहे हैं। मुलायम ने यह भी कहा था कि सीबीआई द्वारा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। इसके लिए उन्होंने 30 जुलाई, 2007 और 20 अगस्त, 2007 की दो स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र किया, जिनके आधार पर तत्कालीन सीबीआई डीआईजी तिलोत्तमा वर्मा की ओर से 2 फरवरी, 2009 को तैयार की गई स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर क्लीन चिट दे दी गई।

मुलायम ने हलफनामे में आरोप लगाया कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले याचिकाकर्ता द्वारा बेबुनियाद तरीके से याचिका दायर की गई। उन्होंने कहा कि इसमें साल 2007 की 30 जुलाई और 20 अगस्त की ​स्टेटस रिपोर्ट का खुलासा भी नहीं किया गया और याचिका दायर कर दी। मुलायम की ओर से कहा गया है कि याचिकाकर्ता की ओर से 2 फरवरी, 2009 की स्टेटस रिपोर्ट का विश्लेषण भी प्रस्तुत नहीं किया गया और मात्र 26 अक्टूबर, 2007 की रिपोर्ट के आधार पर ही याचिका दायर कर दी।

सीबीआई ने गठित की थी जांच समिति
उल्लेखनीय है कि साल 2007 की स्टेटस रिपोर्ट और साथ में दो रिपोर्टों के विश्लेषण को सीबीआई खारिज कर चुकी है। इन रिपोर्टों को जालसाजी करार देकर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई थी। जिम्मेदारों का पता लगाने के लिए सीबीआई ने एक जांच कमेटी भी गठित की थी।

सीबीआई ने जाली स्टेटस रिपोर्ट की जांच करने के बाद 28 दिसंबर, 2012 को पटियाला हाउस की विशेष अदालत में अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी। उस रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि 2 फरवरी, 2009 की जिस रिपोर्ट को तिलोत्तमा वर्मा द्वारा तैयार करने की बात कही जा रही है, उन्होंने ऐसी कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की थी। सीबीआई ने यह भी कहा कि 30 जुलाई, 2007 और 20 अगस्त, 2007 को भी उसकी ओर से कोई स्टेटस रिपोर्ट तैयार नहीं की गई। जांच अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, डीआईजी एवं शाखा अधिकारियों ने भी ऐसी कोई रिपोर्ट तैयार करने से इनकार कर दिया। .. बहरहाल यह मामला सामने आने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया है।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download