फेल हुआ शरद पवार का गणित, अब इस ‘अस्त्र’ के जरिए मोदी लहर से मुकाबले की तैयारी
फेल हुआ शरद पवार का गणित, अब इस ‘अस्त्र’ के जरिए मोदी लहर से मुकाबले की तैयारी
मुंबई/दक्षिण भारत। लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग से मात खाने के बाद विपक्षी पार्टियां मंथन कर आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार भी इस बार कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। उनकी पार्टी के खाते में सिर्फ चार सीटें आई हैं।
राकांपा के इस कमजोर प्रदर्शन के बाद शनिवार को शरद पवार की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं के साथ बैठक हुई। शुरुआत में ऐसी चर्चा थी कि बैठक में आगामी रणनीति को लेकर किसी बड़े बदलाव का संकेत दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में किसी भी नेता ने पार्टी नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठाया और शरद पवार की ओर से भी ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया।नेतृत्व परिवर्तन की मांग नहीं
इस संबंध में राकांपा सांसद माजिद मेमन ने बताया कि बैठक में नेतृत्व परिवर्तन की कोई मांग नहीं उठी और पार्टी अध्यक्ष की ओर से इस्तीफे की कोई पेशकश नहीं हुई। उन्होंने शरद पवार को पार्टी का मुख्य मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मेहनत से काम करने के लिए कहा है।
वहीं, राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को सामूहिक उत्तरादायित्व बताते हुए कहा कि हार के लिए किसी एक को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। उन्होंने शरद पवार को देश के प्रमुख नेताओं में से एक बताते हुए कहा कि पार्टी उनके नेतृत्व में और आगे बढ़ेगी।
युवाओं को आगे लाने पर चर्चा
एक रिपोर्ट में राकांपा की बैठक के बारे में कहा गया है कि जो सीटें पार्टी नहीं जीत पाई है, वहां युवाओं को आगे लाने की चर्चा हुई। ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ज्यादा युवाओं को टिकट दिए जा सकते हैं। इसके अलावा ईवीएम के बजाय मतपत्र से चुनाव कराने और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी को साथ लेकर चुनाव लड़ने का भी जिक्र हुआ।
कई नेताओं ने छोड़ा राकांपा का साथ
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी चर्चा थी कि शरद पवार खुद भी माढ़ा सीट से मैदान में उतरेंगे। हालांकि बाद में उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। चुनाव से पहले राकांपा नेताओं की नाराजगी भी सामने आई। सांसद विजय मोहिते अपने बेटे रणजीत सिंह पाटिल को टिकट दिलाना चाहते थे। जब शरद पवार ने यह मंजूर नहीं किया तो पिता-पुत्र भाजपा में चले गए। कई नाराज नेताओं ने शिवसेना का रुख किया।
विपक्ष के अरमानों पर पानी
अपने सियासी गुणा-गणित के लिए मशहूर शरद पवार का गणित इस बार कामयाब नहीं हो पाया। मोदी लहर में पवार के पोते पार्थ पवार को मावल सीट से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव नतीजे आने से पहले विपक्षी नेताओं की हलचल और मुलाकातें देख ऐसी भी चर्चा थीं कि शरद पवार ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि जब नतीजे आ गए तो राकांपा सहित विपक्ष के अरमानों पर पानी फिर गया।
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