संगठन से लेकर सरकार तक अनंत कुमार के नाम रहीं ये उपलब्धियां, लोग करेंगे याद
संगठन से लेकर सरकार तक अनंत कुमार के नाम रहीं ये उपलब्धियां, लोग करेंगे याद
बेंगलूरु। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के निधन के बाद दिग्गज राजनेता सहित आम नागरिक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। साथ ही उनके द्वारा जीवन में हासिल उपलब्धियों की भी चर्चा हो रही है। अनंत कुमार का नाम भाजपा के उन नेताओं में शुमार है जिन्होंने कर्नाटक में पार्टी को मजबूत किया।
वे संघ से जुड़े रहे थे और उसके अनुशासन की छाप उनकी कार्यशैली में भी दिखाई देती थी। अनंत कुमार ने संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ में भाषण दिया था और वे ऐसे पहले शख्स थे। वे दक्षिण बेंगलूरु से छह बार सांसद रहे। इस सीट से हर बार कांटे का मुकाबला बताया जाता लेकिन आखिरकार नतीजे अनंत कुमार के पक्ष में ही आते।अनंत कुमार का ताल्लुक एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार से था। उनके पिता नारायण शास्त्री रेलवे में नौकरी करते थे। उनकी माता का नाम गिरिजा एन शास्त्री था। अनंत कुमार ने कानून की पढ़ाई की थी। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया और दक्षिण भारत में भाजपा के चर्चित चेहरे रहे।
अनंत कुमार अपने क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय रहे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र में किसी भी दल की सरकार रही हो, लेकिन दक्षिण बेंगलूरु के मतदाताओं ने उन्हें छह बार सांसद बनाकर भेजा। वे यहां 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीते। इस सीट से उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस से रहा।
आपात काल के दौर में उन्होंने इसका विरोध किया, जिसके बाद वे जेल भेजे गए। संघ की पृष्ठभूमि से होने के कारण वे संगठन के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। अनंत कुमार वर्ष 1987 में भाजपा में आए। मेहनत और संगठन निर्माण के कौशल के कारण वे लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक से उनका जुड़ाव रहा। वर्ष 1995 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया।
अनंत कुमार ने बतौर मंत्री नागरिक उड्डयन, पर्यटन, खेल, संस्कृति, शहरी विकास, संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले। वर्ष 1998 में वाजपेयी सरकार की कैबिनेट में वे सबसे युवा मंत्री थे। बता दें कि अनंत कुमार केंद्र की मोदी सरकार के तीसरे ऐसे मंत्री हैं जिनका अपने कार्यकाल के दौरान निधन हो गया। उनसे पहले गोपीनाथ मुंडे और अनिल माधव दवे का देहांत हो चुका है।