बिहार: सही साबित होंगे एग्जिट पोल्स?
राजनीतिक दलों के साथ ही एग्जिट पोल्स की भी परख होगी
क्या एग्जिट पोल्स करने वालों की एक बार फिर किरकिरी होगी?
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे एवं अंतिम चरण का मतदान होने के बाद सभी बड़े एग्जिट पोल्स में राजग की जीत का अनुमान लगाया गया है। इससे भाजपा, जद (यू) और अन्य घटक दलों में खुशी की लहर है। हालांकि 14 नवंबर को जब ईवीएम खुलेंगी तो राजनीतिक दलों के साथ ही इन एग्जिट पोल्स की भी परख होगी। इस बार बिहार के लोगों ने मतदान का नया कीर्तिमान बना दिया। महिलाओं में विशेष उत्साह दिखाई दिया। अभी राजनीतिक दल और विश्लेषक अपने तरीके से गुणा-गणित में व्यस्त हैं। मतदान के आंकड़ों ने उम्मीदवारों को थोड़ा चिंतित भी कर दिया है। अगर एग्जिट पोल्स सही साबित हुए तो इससे यह संदेश जाएगा कि बिहार ने सत्ताविरोधी लहर के कयासों को पूरी तरह खारिज करते हुए राजग पर मजबूती से भरोसा जताया है। इसका असर अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों, खासकर पश्चिम बंगाल में दिखाई दे सकता है। इससे भाजपा कार्यकर्ता बहुत उत्साहित महसूस करेंगे। अगर मैदान महागठबंधन के हाथ लग गया तो एग्जिट पोल्स करने वालों की एक बार फिर किरकिरी होगी। ध्यान रखें, ये सिर्फ अनुमानों पर आधारित होते हैं। ये कई बार सही साबित हुए हैं, कई बार असल नतीजों से कोसों दूर भी रहे हैं। इनके गलत साबित होने पर यह कहकर व्यंग्य किया जाता है कि सर्वेक्षण करने वालों ने अपने दफ्तर में बैठकर ही आंकड़े भर दिए थे! याद करें, साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण का मतदान होते ही एग्जिट पोल्स क्या कह रहे थे? ज्यादातर ने अनुमान लगाया था कि भाजपा अपने दम पर भारी बहुमत लेकर सत्ता में आएगी। नतीजे हैरान करने वाले थे।
पिछले साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भी एग्जिट पोल्स को पूरी तरह गलत साबित किया था। वहीं, साल 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में एग्जिट पोल्स काफी हद तक सही साबित हुए थे। इसी तरह साल 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एग्जिट पोल्स कहीं सही, तो कहीं गलत साबित हुए थे। छत्तीसगढ़ में कांटे की टक्कर बताई गई थी, लेकिन भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को पछाड़ दिया था। मध्य प्रदेश में सीटों का अनुमान सटीक नहीं था। राजस्थान में भाजपा के सत्ता में आने का अनुमान सही साबित हुआ था। उम्मीद है कि एग्जिट पोल्स के विश्लेषकों ने पिछले अनुभवों से सीखा होगा और डेटा एकत्रीकरण एवं विश्लेषण से संबंधित पुख्ता तौर-तरीके अपनाए होंगे। मतदाता के मन की थाह पाना आसान नहीं है। कई मतदाता अपना मत जिस उम्मीदवार को देकर आते हैं, उसके बारे में मीडिया, सर्वेक्षण कर्ताओं आदि को सही जानकारी नहीं देते। नेताओं की जनसभाओं, घोषणाओं और राष्ट्रीय/स्थानीय घटनाओं की वजह से भी मतदाताओं की पसंद बदलती है। जो एग्जिट पोल इन सभी बिंदुओं का आकलन करने में जितना सफल रहता है, उसका अनुमान चुनाव नतीजों के उतना ही निकट होता है। बिहार के एग्जिट पोल्स में एक बात बहुत चौंकाने वाली है। ज्यादातर ने जन सुराज को शून्य से लेकर 2 या 3 सीटें दी हैं। एक एग्जिट पोल ने अधिकतम 5 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। क्या यह पार्टी एक अंक में ही सिमट जाएगी? अगर ये अनुमान सच साबित हुए तो प्रशांत किशोर और जन सुराज के कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को बड़ा झटका लगेगा। चुनाव नतीजे जो भी आएं, सभी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, नेता और कार्यकर्ता उन्हें जनता-जनार्दन का आदेश मानकर स्वीकार करें। जो जीतें, वे विनम्र रहें। जो हारें, वे ईवीएम, मतदाता और व्यवस्था को दोष देने के बजाय आत्मावलोकन करें।

