यूनुस की मंशा क्या है?
यूनुस पाकिस्तान की मंशा खुलकर उजागर कर रहे हैं
भारतवासियों के त्याग और बलिदान के बिना बांग्लादेश का निर्माण असंभव था
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने आग से खेलने का शौक पाल लिया है! उन्होंने जिस तरह पाकिस्तानी फौज के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को बांग्लादेश के गलत नक्शे वाली एक किताब भेंट की, उससे असल मंशा का पता चलता है। ये नोबेल पुरस्कार विजेता जो संकेत दे रहे हैं, वे बांग्लादेश के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। उक्त किताब के कवर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश के हिस्से के रूप में दर्शाया गया है। हमें याद रहना चाहिए कि यह मंशा सिर्फ यूनुस की नहीं है। पहले, जब बांग्लादेश 'पूर्वी पाकिस्तान' की शक्ल में पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था, तब उसकी फौज, सरकार और कट्टरपंथियों की यही मंशा थी। आज यूनुस उसे खुलकर उजागर कर रहे हैं। बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए भारतीय सैनिकों और नागरिकों ने बहुत बड़ा योगदान दिया था। भारतवासियों के त्याग और बलिदान के बिना बांग्लादेश का निर्माण असंभव था। वह भारतीय सेना ही थी, जिसने पाकिस्तानी फौज की बर्बरता को रोका था। अगर भारतीय सैनिकों ने उस समय पूर्वी पाकिस्तानियों को उनके हाल पर छोड़ दिया होता तो आज यूनुस अंतरिम सरकार के मुखिया न होते। वे जो नक्शा दिखा रहे हैं, उसके पीछे गहरी साजिश है। वे चाहते हैं कि ऐसी हरकतें जारी रखें, जिनसे भारत असहज महसूस करे। इसके लिए यूनुस पाकिस्तान और कट्टरपंथियों की मदद ले रहे हैं। अब सवाल है- इस साजिश को अंजाम देने के लिए यूनुस क्या कर सकते हैं? बांग्लादेश सैन्य शक्ति से तो कुछ कर नहीं सकता, क्योंकि भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई में ऐसी मरम्मत करेगी कि होश ठिकाने आ जाएंगे। तो बांग्लादेश के पास कौनसा अस्त्र है?
वास्तव में बांग्लादेश के पास छोटे-मोटे कई अस्त्र हैं, जिन्हें हमें गंभीरता से समझना चाहिए। वह अपनी जमीन पर आईएसआई और पाकिस्तानी कट्टरपंथियों को पनपने तथा संचालन करने का मौका दे सकता है। वह घुसपैठियों को भारत में भेजकर उन इलाकों में बसने के निर्देश दे सकता है, जिन पर उसकी ललचाई नजर है। भारत में पहले ही कई बांग्लादेशी घुसपैठिए मौजूद हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की बात होती है तो कुछ कथित बुद्धिजीवी अड़ंगा डालने के लिए तुरंत प्रकट हो जाते हैं। भारत सरकार को घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें पकड़ना और स्वदेश भेज देना ही काफी नहीं है। जब तक कठोर दंड नहीं मिलेगा, घुसपैठ का सिलसिला नहीं रुकेगा। पूर्व में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब किसी घुसपैठिए को कानूनी प्रक्रिया के तहत निकाला गया, लेकिन वह कुछ महीने बाद दोबारा आ गया था! घुसपैठियों को ऐसा सबक मिलना चाहिए कि वे सपने में भी भारत में घुसपैठ करने का दुस्साहस न कर पाएं। जिन घुसपैठियों ने फर्जीवाड़ा कर मतदाता सूची में नाम जुड़वा लिया, उनके नाम काटे जाएं। इसके अलावा, जिन घुसपैठियों ने गलत तरीके से राशन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेज बनवा लिए, उन्हें निरस्त करना चाहिए। पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकी आतंकवाद का खतरा बढ़ा सकती है। इसके साथ ही नकली मुद्रा की चुनौती बढ़ सकती है। आईएसआई भारत की नकली मुद्रा छापकर आतंकवादियों और अलगाववादियों की फंडिंग करती है। वह ड्रग्स की तस्करी के लिए नेटवर्क भी बनाती है। भारत को इन गतिविधियों में लिप्त तत्त्वों पर कड़ी नजर रखते हुए उनके नेटवर्क को नष्ट करना होगा। इन खतरों के प्रति सजग रहते हुए अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करनी होगी, ताकि कोई साजिश सफल न हो पाए।

