नई पीढ़ी का जीवन-निर्माण आज सबसे बड़ी चुनौती: आचार्य विमलसागरसूरी

आधुनिक जमाने के भरोसे मासूम बालक अपने आप बड़े नहीं होंगे

नई पीढ़ी का जीवन-निर्माण आज सबसे बड़ी चुनौती: आचार्य विमलसागरसूरी

सिर्फ जमाने को दोष देकर चलते रहने से कोई सार्थक परिवर्तन नहीं होगा

गदग/दक्षिण भारत। स्थानीय राजस्थान जैनश्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में गुरुवार को आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि नई पीढ़ी का जीवन-निर्माण आज हर परिवार के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। जो भी अभिभावक इस कार्य में उदासीन रहेंगे, वे अपने हाथों से सब-कुछ खो देंगे। उनके पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचेगा। आधुनिक जमाने के भरोसे मासूम बालक अपने आप बड़े नहीं होंगे, उल्टा वे बिगड़ कर बर्बाद हो जाएंगे। 

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उन्हें बड़ा करने और परिपक्व बनाने की नई तरकीबें हर अभिभावक को सीखनी होंगी। समाज को रूढ़ियों और पुरातनविचारों से ऊपर उठना होगा लेकिन सिनेमा और टेलीविजन की बातों से नहीं, अपने अनुभवों और परिस्थितियों को देखकर अब नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

जमाना तो कल भी खराब ही था, हमें उसे अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप बदलने का पुरुषार्थ करना चाहिए। सिर्फ जमाने को दोष देकर चलते रहने से कोई सार्थक परिवर्तन नहीं होगा। यह तो परिस्थितियों से पलायन करने की प्रवृत्ति हुई। संसार और समय तो यूं ही गति करते रहेंगे, हमें ही संभलकर अच्छी संभावनाएं खड़ी करनी होगी। 

गणि पद्मविमलसागरजी ने बताया कि सदाचार के बिना धर्म की बातें करने का कोई अर्थ नहीं है। दुराचार बरबादी के अलावा किसी मार्ग पर नहीं ले जाता। इसके असह्य अपार दुःख है।

जैन संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने आगामी कार्यक्रम की जानकारी दी। सचिव हरीश गादिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

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