गणतंत्र दिवस: कर्तव्य पथ पर कर्नाटक की झांकी में दिखेंगे लक्कुंडी के कलात्मक मंदिर
राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में झांकी को अंतिम रूप दिया गया

कलात्मक मंदिरों को देखने के लिए लोग उत्सुक हैं
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कर्नाटक में पत्थर शिल्प के लिए मशहूर स्थल 'लक्कुंडी' इस साल दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर झांकी में नजर आएगा। जानेमाने कला निर्देशक शशिधर अडापा के मार्गदर्शन में कलाकारों की टीम ने राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में झांकी को अंतिम रूप दे दिया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त हेमंत एम निंबालकर ने कहा कि कर्नाटक की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए 18 कलाकारों ने योगदान दिया है।कर्नाटक की झांकी में लक्कुंडी के कलात्मक मंदिरों को देखने के लिए लोग उत्सुक हैं। गौरतलब है कि गदग जिले में स्थित लक्कुंडी मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में कल्याणी चालुक्य काल में हुआ था।
इस झांकी के चार भाग होंगे। अग्र भाग में चतुर्मुख ब्रह्मा विराजमान होंगे। यह प्राचीन जैन मंदिर ब्रह्मा जिनालय का हिस्सा है। झांकी का मध्य भाग ब्रह्मा जिनालय मंदिर का खुला प्रांगण होगा। यह भगवान महावीर को समर्पित स्थान होगा।
खुले प्रांगण में 30 से ज्यादा भव्य स्तंभ होंगे। इसके बाद काशी विश्वेश्वर मंदिर को प्रदर्शित किया गया है। यह भगवान शिव और भगवान सूर्य को समर्पित है। झांकी का अंतिम भाग नंदीश्वर मंदिर को प्रदर्शित करेगा। इसमें उत्तर और दक्षिण भारत की स्थापत्य शैली देखने को मिलेगी।
बता दें कि साल 2000 से अब तक 22 बार कर्नाटक की झांकियों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए चुना गया है। वहीं, छह बार सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार मिला है।