वादों का हिसाब लें

समस्या की जड़ तक कोई नहीं जाता

वादों का हिसाब लें

दिल्ली के लिए बहुत बड़ी चुनौती वायु प्रदूषण है

दिल्ली में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दल घोषणाओं के पिटारों से बड़ी-बड़ी योजनाएं निकाल रहे हैं। मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली, मुफ्त सिलेंडर, मुफ्त यात्रा समेत कई चीजें और सुविधाएं मुफ्त देने के ये वादे कितने प्रासंगिक हैं? क्या किसी दल ने यह बताया है कि इनके लिए धन का प्रबंध कैसे किया जाएगा? पिछले एक दशक में मुफ्त चीजें और सुविधाएं देने की राजनीति को जिस तरह बढ़ावा मिला है, उसके मद्देनज़र कोई नेता या राजनीतिक दल इन पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। ये चीजें और सुविधाएं भले ही मुफ्त हों, लेकिन इनके निर्माण पर लागत आती है। उसकी भरपाई कहां से होगी? दिल्ली के लिए बहुत बड़ी चुनौती वायु प्रदूषण है। क्या किसी नेता के पास कोई योजना है, जिसके जरिए लोगों को साफ हवा मिलने का इंतजाम हो जाएगा? पिछले साल के आखिरी कुछ हफ्ते कितने मुश्किल गुजरे थे? दिल्ली में सरकारी स्कूल हैं, जिनकी 'उपलब्धियों' का सोशल मीडिया पर बहुत जिक्र होता है। आम आदमी पार्टी के कितने विधायक और वरिष्ठ नेता हैं, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं? 'स्कूल होना' और 'गुणवत्तापूर्ण शिक्षा होना' दो अलग-अलग बातें हैं। प्राय: सरकारी स्कूलों में वे बच्चे जाते हैं, जिनके माता-पिता प्राइवेट स्कूलों की फीस और अन्य खर्चे उठाने में सक्षम नहीं हैं। हर साल जब बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे आते हैं तो सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। टीवी स्टूडियो में बहुत बड़े बुद्धिजीवी आकर बताते हैं कि कुछ ऐसा कर दें, यह खर्च बढ़ा दें तो हालत सुधर सकती है, लेकिन समस्या की जड़ तक कोई नहीं जाता।

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अगर सरकारी स्कूलों की हालत सुधारनी है तो जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए कानूनी अनिवार्यता करें कि वे अपने बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ाएंगे। क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी नेता या दल ने इसके लिए आवाज उठाई? नागरिकों को कुछ मूलभूत सुविधाएं मुफ्त या नाममात्र के शुल्क पर जरूर मिलनी चाहिएं। जैसे- पानी, बिजली, राशन सबको मिलना ही चाहिए। ये सुविधाएं जनता को इस तरह दें, ताकि अन्य चीजों में सुधार आए। उदाहरण के लिए, इन योजनाओं के जरिए घर में ईवी / साइकिल, वर्षाजल संग्रहण प्रणाली, आस-पास सफाई, पेड़ आदि की अनिवार्यता कर दें तो कई समस्याएं दूर हो जाएंगी। याद करें, पिछले साल मई-जून में दिल्ली का तापमान क्या रिकॉर्ड बना रहा था? यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस पुष्टि कर चुकी है कि साल 2024 अब तक का सबसे ज्यादा गर्म साल रहा और ऐसा पहली बार है, जब पिछले साल का वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इस साल गर्मियों का मौसम कैसा होने वाला है? क्या पिछले अनुभवों से कोई सबक लिया? दिल्ली में कितने पौधे लगाए गए? उनकी सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए? अब डेढ़ महीने की सर्दी बची है। उसके बाद गर्मी ही गर्मी! क्या पानी की उपलब्धता के लिए कोई ठोस योजना बनाई गई है? बड़े राजनीतिक दल, जो दिल्ली की सत्ता में आने का दावा कर रहे हैं, वे ऐसा क्या करेंगे जिससे लोगों को टैंकरों पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा? आम आदमी पार्टी के दिल्ली की सत्ता में आने के बाद उपराज्यपाल कार्यालय के साथ खींचतान सुर्खियों में रही है। राष्ट्रीय राजधानी में अपराध और कानून व्यवस्था का मुद्दा भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया 'नमक-मिर्च' लगाकर उठाता है। क्या राजनीतिक दलों के पास ऐसी योजना है, जिससे वे हमारे देश की राजधानी को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं? मुद्दे तो कई हैं, जनता उनसे परिचित भी है। क्या वह जनप्रतिनिधियों के उन वादों का हिसाब लेगी, जो पिछले चुनाव में किए गए थे? वादों का हिसाब लें, अन्यथा वे घोषणापत्रों में ही रह जाएंगे।

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