इन संकेतों को समझें

भविष्य के लिए अभी तैयारी नहीं की तो हालात बहुत ज्यादा मुश्किल हो सकते हैं

इन संकेतों को समझें

ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन खरीदारी और ऑनलाइन कामकाज ... ये आज की सच्चाई हैं

हाल में चार घटनाएं ऐसी हुईं, जिनके संकेतों को समझने में हमें देर नहीं करनी चाहिए। हालांकि ये संकेत नए नहीं हैं। इनके नतीजों पर गंभीरता से चर्चा नहीं हुई। राजस्थान का कोटा शहर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग के लिए मशहूर है। यहां के विद्वान शिक्षकों के मार्गदर्शन में तैयारी करने वाले बच्चों के परीक्षा परिणाम जगजाहिर हैं। यह शहर शानदार परिणाम देता रहा है, दे रहा है, लेकिन अब यहां आकर तैयारी करने वाले बच्चों की संख्या में अच्छी-खासी कमी आ गई है। इससे होस्टल, ढाबा, परिवहन और अन्य व्यवसायों से जुड़े लोगों के लिए समस्याएं खड़ी हो गई हैं। आखिर, बच्चों का कोटा से मोहभंग क्यों होता जा रहा है? कई अभ्यर्थियों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं के अलावा एक बड़ी वजह ऑनलाइन कोचिंग का मजबूत होना है। पहले, जो बच्चा कोटा आकर किराए के मकान या होस्टल में रहता, कोचिंग सेंटर जाकर पढ़ाई करता, उसे खाने-पीने, आने-जाने और दूसरी जरूरतों पर काफी रुपए खर्च करने पड़ते थे। कई बच्चों ने मकान मालिकों, होस्टल संचालकों आदि पर 'मनमानी' करने के भी आरोप लगाए हैं। वहीं, ऑनलाइन कोचिंग ने इस धारणा को ध्वस्त कर दिया कि घर पर रहकर अच्छी पढ़ाई नहीं की जा सकती। हमने 21 अक्टूबर, 2020 के अंक में आलेख प्रकाशित किया था- 'कोचिंग कारोबार का सिंहासन हिला पाएगी डिजिटल की दस्तक?' चार साल बाद उसकी पंक्तियां हकीकत बनती नजर आ रही हैं।

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दिल्ली के मुखर्जी नगर, राजेंद्र नगर जैसे कई इलाके यूपीएससी अभ्यर्थियों की वजह से जाने जाते हैं। देशभर से बड़ी तादाद में युवा यहां आकर रहते और कोचिंग करते हैं। कोटा की तरह यहां भी तगड़ा संघर्ष है। छोटे-से कमरे का भारी-भरकम किराया, उस पर बिजली-पानी के बिल और दूसरे खर्चे सामान्य परिवार के युवाओं की नींदें उड़ा देते हैं। पढ़ाई का दबाव अपनी जगह है ही! अगस्त में एक कोचिंग सेंटर के 'बेसमेंट' में पानी भर जाने के कारण तीन अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी। उससे पहले एक अभ्यर्थी की मौत करंट लगने से हो गई थी। ऐसे हालात में कई युवा इन इलाकों में आकर तैयारी करने से मुंह मोड़ने लगे हैं। उन्हें भी ऑनलाइन कोचिंग का विकल्प खूब पसंद आ रहा है। इस साल दीपावली पर बाजारों में अच्छी रौनक रही। हालांकि मोबाइल फोन, कपड़े, जूते, सजावटी सामान, गिफ्ट और दैनिक उपभोग के सामान का कारोबार करने वाले कई दुकानदारों का कहना है कि उन्हें ज्यादा बिक्री की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों? लोग ऑनलाइन खरीदारी को प्राथमिकता देने लगे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों की वजह से उनके कारोबार पर बहुत असर पड़ा है। किराने की कई दुकानें तो इस वजह से बंद हो गईं, क्योंकि बुनियादी खर्चे ही नहीं निकल रहे थे। ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन खरीदारी और ऑनलाइन कामकाज ... ये आज की सच्चाई हैं। समय रहते खुद को बदलाव के लिए तैयार करना होगा। ऑनलाइन की वजह से हर क्षेत्र में कोई-न-कोई बदलाव जरूर आएगा। जो इसके लिए तैयार होगा, वह आगे बढ़ेगा। सिर्फ इस बात की शिकायत करते रहने से काम नहीं चलेगा कि 'ऑनलाइन' ने बहुत चुनौतियां पैदा कर दीं। दिल्ली समेत विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण के कारण हालात मुश्किल होते जा रहे हैं। हमें अतीत में हुईं उन 'गलतियों' पर विचार करना होगा, जिससे हवा में इतना जहर घुला। यह भी स्वीकार करना होगा कि सड़कों पर वाहन बहुत धुआं छोड़ रहे हैं। यह लोगों के फेफड़ों में जा रहा है। इस समय संस्थानों, कारोबारी प्रतिष्ठानों में जहां तक संभव हो, ऑनलाइन कामकाज को प्रोत्साहित करना होगा। सुविधाओं के नाम पर जिस तरह पर्यावरण को हानि पहुंचाई गई, दिल्ली तो उसकी एक झलक मात्र है। अगर हमने भविष्य के लिए अभी तैयारी नहीं की तो हालात बहुत ज्यादा मुश्किल हो सकते हैं।

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