तीसरी आर्थिक महाशक्ति होने का ताना-बाना

भारत की सेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान रखती है

तीसरी आर्थिक महाशक्ति होने का ताना-बाना

पाकिस्तान या चीन की इतनी हिम्मत नहीं है कि सीधा भारत पर आक्रमण कर सकें

संजीव ठाकुर
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भारत ने चीन के साथ सीमाओं पर होने वाले युद्ध की आशंका को समाप्त करते हुए बातचीत से समझौते का सही रास्ता अख्तियार कर सीमांत मोर्चे पर बजट पर होने वाले चीन से युद्ध की आशंका पर खर्च को काफी हद तक बचा लिया है एवं एक मोर्चे से भारत अब निश्चिंत होकर अपनी आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हो सकता है| यह तय है कि यदि चीन भारत से युद्ध नहीं कर सकता तो पाकिस्तान की इतनी हैसियत नहीं है कि वह चीन के बिना भारत से युद्ध करने की कभी कल्पना भी कर सके | इन परिस्थितियों में भारतीय अर्थशास्त्रियों का अनुमान है की भारत अब विश्व की तीसरी महाशक्ति बनने से काफी नजदीक पहुंच जाएगा और अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस कनाडा जैसे देश जो भारत की प्रगति को बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते हैं को भारत चीन के इस समझौते से बड़ा झटका ही लगा है| निश्चित तौर पर ये अंग्रेज देश नहीं जाएंगे कि भारत उनकी बराबरी के साथ खड़े होकर आंखों में आंखें डाल कर बात करे सके| भारत स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद अथक प्रयास करने के पश्चात आधुनिक भारत के स्वप्न दृष्टा प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी कार्यप्रणाली इसी सोच के साथ आगे बढ़ाई थी कि भारत आने वाले समय में एक समृद्ध, शक्तिशाली एवं आर्थिक रूप से संपन्न राष्ट्र के रूप में वैश्विक स्तर पर उभर कर आएगा| 

इसी तारतम्य में १९५२ से प्रारंभ की गई पंचवर्षीय योजनाओं के तहत कृषि, उद्योग, विज्ञान और स्वास्थ्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सोच को मूर्त रूप दिया गया था| समय समय मैं सरकारें बदलती रहे और भारत विकास की ओर धीरे-धीरे बढता रहा| आज वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आर्थिक स्थिति में जबरदस्त विकास किया है, भारत विश्व में पांचवी आर्थिक स्थिति बन चुका है दूसरी तरफ विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी में भी अहम स्थान रखता है| सामरिक तौर पर भी भारत की सेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान रखती है |अब पाकिस्तान या चीन की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीधा भारत पर आक्रमण कर सकें| भारत ने विकास कर यह साबित कर दिया है भारत अब पुराना भारत नहीं रहा है और अब किसी भी विषम परिस्थिति मैं भारत सीना तान कर खड़ा हुआ है|

मैं किसी पार्टी विशेष का पक्षधर नहीं हूं जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी ,अटल बिहारी वाजपेई, डॉ मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी जी ने भारत को वैश्विक पटल पर एक सम्मानजनक इस स्थिति में ला खड़ा किया है| अटल बिहारी के नेतृत्व में हम परमाणु शक्ति संपन्न देश बने थे और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हमने १९७१ में पाकिस्तान को बुरी तरह हराकर कर उसका विभाजन कर बांग्लादेश नामक नए देश का जन्म करवाया था|

पर मैं यहां बात विकास के वास्तविक धरातल और देश में गरीबी तथा बेरोजगारी उन्मूलन की करना चाह रहा हूं| हमारा देश अभी भी गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, असमानता, अंधविश्वास, आडंबर और धार्मिक कट्टरपंथ का सामना करते हुए उस गति से विकास नहीं कर पा रहा है जिसके लिए वह अत्यंत समर्थ है| आज भारत की धमक अमेरिका से लेकर जापान तथा अफ्रीकी देशों में भी है भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी का स्वागत अमेरिका फ्रांस ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड ब्राजील इजरायल और सऊदी अरेबिया देश के अनेक राज्यों के राष्ट्रीय प्रमुख हुक्मरानों ने दिल खोलकर किया है, नरेंद्र मोदी की वैश्विक हैसियत इसी बात से पता चलती है कि बाहुबली अमेरिका के राष्ट्रपति ने उनका ऑटोग्राफ लेने की गुजारिश की है और पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्र प्रमुख ने उनके चरण छूकर उनका अभिवादन किया, यह संभवत चमत्कारिक प्रभाव भारत के शक्तिशाली होने एवं वैश्विक शांति के प्रति देश की प्रतिबद्धता के कारण ही हुआ है|

पर दूसरी तरफ भारत की अंदरूनी स्थिति में भारत १४० करोड़ की जनसंख्या वाला देश हो गया हैश्र विकास की कल्पना में भारत आर्थिक तौर पर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो, इस स्थान पर गरीबी बेरोजगारी असमानता का उन्मूलन हो चुका हो| इसी तरह भारत कच्चे तेल के संकट से मुक्त होकर उर्जा संपन्न देश बने और भारतीय मुद्रा का चलन वैश्विक स्तर मैं सम्मान पूर्वक हो सके| सामाजिक स्तर पर विभिन्न लक्षित वर्गों जैसे दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, आदिवासी, महिलाओं तथा बच्चों के लिए लाभकारी नीति बनाई जानी चाहिए| अभी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के के साथ सामाजिक तथा प्रशासनिक, वैज्ञानिक, चिकित्सकीय स्तर पर केवल कागजों में दिखाई देती है नारी प्रताड़ना का प्रतिशत अभी भी भारत में बहुत ज्यादा है| ग्रामीण क्षेत्र में बाल श्रम की स्थिति विकराल है अनाज का पर्याप्त भंडारण होने के बावजूद भूखमरी तथा बेरोजगारी भारत में सिर चढ़कर बोल रही है| इसी तरह भारत में सुरक्षा की दृष्टि से बहुत बड़ी बड़ी चुनौतियां हैं जैसे धार्मिक उन्माद, नक्सलवाद, चरमपंथी विचारधारा तथा विभिन्न राज्यों के आपसी विवादों से हमें मजबूती से निपटना होगा तब जाकर विकास की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जा सकता है| भारत की प्रति व्यक्ति आय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित रूप से बहुत कम है| भारत अभी वैज्ञानिक, तकनीकी और सुरक्षा के उच्च स्तर पर नहीं पहुंच पाया है| जिससे वह हर देश से आर्थिक सामाजिक राजनीतिक रूप से संतुलन बनाकर आमने सामने बैठ कर बात कर सके और इतना सामर्थ हो भारत कि हम संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के आमंत्रित सदस्य बनकर बुलाए जाएं|

गांधी जी ने स्वतंत्रता के बाद कहा था कि मेरे सपनों का भारत कैसा भारत हो जिसमें गरीब से गरीब और वंचित से वंचित तथा पिछड़ा व्यक्ति भी भारत को अपना देश समझे तथा भारत की सरकार ऐसी सरकार जो अपनी नीतियां अंतिम व्यक्ति को सोचकर बना सके और उस व्यक्ति को सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो सके| गांधीजी के सपनों के भारत को बनाने के लिए देश को सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्कारिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक रूप से शक्ति संपन्न बनाना होगा तभी भारत का हर नागरिक अपने भारत के नागरिक होने पर गर्व उच्च स्तर पर कर सकेगा|

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