सावधान: अनजाने में मिलावटखोरी के जहर का सेवन
हमारे देश में त्योहार आते ही जरूरी उत्पादों की मांग बढ़ जाती है

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डॉ. प्रितम भि. गेडाम
मोबाइल: 82374 17041
हमारे देश में त्योहार आते ही जरुरी उत्पादों की मांग बढ़ जाती है और आश्चर्य की बात है कि मांग बढ़ने पर पूर्ति की सामग्री सिमित होने के बावजूद सामग्री के सप्लाई में कमी नहीं आती है| उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र राज्य में कोजागिरी पूर्णिमा के दिन दूध का विशेष पेय बनाया जाता है| इस दिन दूध की मांग अन्य दिनों के मुकाबले दोगुनी से अधिक होने के बावजूद पूर्ति उससे भी ज्यादा उपलब्ध होती है| अब ऐसा नहीं हो सकता कि केवल खास दिवस पर ही दुधारू पशु दुगना दूध देते है और उत्पादन एक दिन में दुगना हो जायें| अगर गाय एक दिन में १० लीटर दूध देती है, तो रोज की तरह १० लीटर ही दूध देगी, फिर अचानक मार्केट में दूध की आपूर्ति कैसे बढ़ जाती है?
मिलावट की इस खाद्य सामग्रियों से स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करें? यह गंभीर सवाल उपस्थित होता है| गुणवत्ताहीन और मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन के मामले में फिलहाल हम शिखर पर है| चिकित्सक कहते हैं कि जंक फूड खराब होता है, फलों का सेवन करना बेहतर है, लेकिन अब मार्केट में कैसे फल खरीदे? अपना एक अनुभव साझा कर रहा हूँ, दो दिन पहले मैंने शहर के मुख्य फल मार्केट से अच्छे गुणवत्ता के सेब और मौसंबी खरीदी थी| फलों का बाहरी आवरण देखकर, अच्छी तरह छॉंटकर फल खरीदने के बावजूद दूसरे दिन ही उसमे से आधे से ज्यादा फल सड़ गए| फल खरीदते वक्त मैंने फल विक्रेता से आजकल के गुणवत्ताहीन फलों के बारे में शिकायत भी की थी, तो फल विक्रेता का कहना था, कि उनके पास के फल बहुत उच्च गुणवत्ता के है, कोई शिकायत नहीं होगी, फिर भी फल खराब निकले| फलों के जल्दी खराब होने की मुख्य वजह उन पर होने वाली घातक रासायनिक प्रक्रिया है और दूसरी वजह पल-पल बदलता मौसम है|
कंज्यूमर गाइडेंस सोसायटी ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट में पाया गया कि बाजार में उपलब्ध ७९७ ब्रांडेड या खुला दूध अयोग्यता का गंभीर विषय है| साल २०१९ में दूध के पैकेट के ४१३ नमूनों का परीक्षण किया गया था, उनमें से केवल ८७ दूध के नमूने ही भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक विनिर्देशों के अनुसार योग्य पाए गए| स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाले दूध में कुछ प्रमुख मिलावट यूरिया, फॉर्मेलिन, डिटर्जेंट, अमोनियम सल्फेट, बोरिक एसिड, कास्टिक सोडा, बेंजोइक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, शर्करा और मेलामाइन हैं| दूध केवल हम पीते ही नहीं है, बल्कि हजारों तरह के खाद्यपदार्थ, मिठाइयां और व्यंजन बनाने में इसी दूध का प्रयोग होता है| देश में उत्पादन से ज्यादा दूध बेचा जाता है| आज दूध से बने अधिकतर खाद्य पदार्थों में शुद्ध दूध का स्वाद ही महसूस नहीं होता है| जबकि उत्पाद पूर्णत शुद्ध है, हमें ये समझाने का भरसक प्रयास विक्रेता करता है| रिसर्च कहता है कि देश में हर तीसरा व्यक्ति नकली दूध का सेवन कर रहा है|
आज की पीढ़ी बाहर खाना पसंद करती है, हर चीज उन्हें इंस्टेंट चाहिए, गुणवत्ता नहीं, सिर्फ स्वाद ही मायने रखता है| अक्सर सोशल मीडिया पर बहुत से वायरल वीडियो में स्ट्रीट फूड के रंगबिरंगे व्यंजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दिखाई पड़ते है| २०-३० रुपये के व्यंजन में भी खूब भर-भरकर बटर, पनीर डाला जाता है, जैसे वह शुद्ध बटर न होकर साधा पानी हो, उसकी कीमत के हिसाब से गुणवत्ता क्या होगी, वह हम समझ सकते है| निम्न दर्जे के खाद्य पदार्थ, अधिकतम पैकेट बंद मसाले, सॉसेज, चटनी, और तेल का अधिकतम प्रयोग, स्वच्छता की कमी नजर आती है| बहुत बार खाद्य पदार्थ तलने के बाद भी वह तेल बार-बार उपयोग में लाया जाता है| गर्म खाद्यपदार्थों में भी प्लास्टिक का प्रयोग बेहद हानिकारक है फिर भी उपयोग किया जाता है| ज्यादातर ऐसे व्यंजनों में गुणवत्ता से समझौता किया जाता है और पोषक तत्वों की जगह केवल विषाक्त तत्व ही दिखाई पड़ते है| बाहरी खाद्य पदार्थों में अधिकतर मिलावटी सामग्री के प्रयोग की संभावना ज्यादा होती है| उदाहरण के लिए अगर हम मार्केट से साबुत मसाले लाकर घर पर पिसा मसाला बनाएं, मूंगफली से तेल, दूध से पनीर, टमाटर से सॉस बनाये फिर भी मार्केट में तैयार उत्पाद से कई गुना महंगा उत्पाद हमारा होगा| फिर मार्केट में इतने सस्ते में उत्पाद कैसे बिकते है? जबकि महंगाई का जमाना है|
मिलावटी भोजन अत्यधिक विषैला होता है और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, मिलावटी भोजन के सेवन से दस्त, मतली, एलर्जी, मधुमेह, हृदय रोग, किडनी विकार, गुर्दे, कैंसर, लेथिरिज्म, तंत्रिका तंत्र से संबंधित रोग और यकृत सहित अंग प्रणालियों की विफलता शामिल है| कुछ मिलावटों में कार्सिनोजेनिक, क्लैस्टोजेनिक और जीनोटॉक्सिक गुण पाए गए हैं| लैंसेट के अध्ययन में पाया गया कि २०१९ में भारत में दूषित पानी से पांच लाख से अधिक मौतें हुईं| हमारे देश में अधिकतर खाद्य पदार्थ हानिकारक तत्वों के साथ मौजूद है, देश में नकली शराब से भी हर साल बड़ी संख्या में मौतें होती है| आज किसी भी खाद्यपदार्थ को सौ फीसदी शुद्ध कहना बहुत मुश्किल है| जंक फ़ूड, मैदा, शक्कर, नमक, तेल पहले से ही धीमे जहर की तरह काम करके घातक बीमारियों से हमें जकड रहे है, ऊपर से देश में बढ़ता प्रदुषण हमारी सांसे कम कर रहा है| लैंसेट अध्ययन के अनुसार, २०१९ में भारत में प्रदूषण के कारण २३ लाख से ज़्यादा असामयिक मौतें हुईं| इस मिलावटखोरी की दुनिया में कुछ भी शुद्ध होने का भरोसा नहीं होता| जागरूक रहें, दिखावे पर न जाएं, चटोरी जबान पर नियंत्रण रखें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें, घर के खाद्य पदार्थों को ही प्राथमिकता दें और स्वस्थ रहें|
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