आज हमारे घर आना मां गौरी के लाला
भगवान गणेश के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है
Photo: PixaBay
बाल मुकुन्द ओझा
मोबाइल: 9414441218
भगवान गणेश के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है| देश के सर्वाधिक लोकप्रिय त्योहारों में गणेश चतुर्थी एक है| गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा के मूर्ति विसर्जन के बाद समाप्त होता है| अंग्रेजी तिथि के हिसाब से गणेश उत्सव इस साल 7 सितंबर, शनिवार से शुरू हो कर विसर्जन १७ सितंबर को होगा| भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना का मूहुर्त सुबह 11 बजकर ३ मिनट से लेकर दोपहर १ बजकर ३४ मिनट तक रहेगा| इस भांति भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने के लिए ढाई घंटे का समय मिलेगा| ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर रवि योग सुबह ६ बजकर दो मिनट से बन रहा है, इस योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं| विद्वानों के अनुसार गणेश चतुर्थी को मूर्ति और कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त अच्छा माना जाता है| इस साल चतुर्थी पर अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:54 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक है|
भारतीय जनजीवन में गणेशजी का अद्वितीय स्थान है| पंच देवताओं में वे अग्रगण्य हैं| प्रत्येक उत्सव, समारोह अथवा अनुष्ठान का आरंभ उन्हीं की पूजा-अर्चना से होता है| वे विद्या और बुद्धि के देवता हैं| इसके साथ ही वे विघ्न-विनाशक भी हैं| भगवान गणेश का अवतार ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के रूप में हुआ है| इस कारण हमारे देश में किसी भी अच्छे काम की शुरूवात से पहले भगवान गणेश का आह्वान एक आम बात है| साथ ही इस त्योहार से हम अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सद्भाव ला सकते है| पंचदेवों में से एक भगवान गणेश सर्वदा ही अग्रपूजा के अधिकारी हैं और उनके पूजन से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है | श्रीगणेश के स्वतंत्र मंदिर कम ही जगहों पर देखने को मिलते हैं परंतु सभी मंदिरों, घरों, दुकानों आदि में भगवान गणेश विराजमान रहते हैं| इन जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा, चित्रपट या अन्य कोई प्रतीक अवश्य रखा मिलेगा. लेकिन कई स्थानों पर भगवान गणेश की स्वतंत्र मंदिर भी स्थापित है और उसकी महता भी अधिक बतायी जाती है. भारत ही नहीं भारत के बाहर भी भगवान गणेश हैं|
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार मां पार्वती स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा| फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गई| थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया| इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए| जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश जी का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई| तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया| उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया| पार्वती जी हर्षातिरेक हो कर पुत्र गणेश को हृदय से लगा लेती हैं तथा उन्हें सभी देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद देती हैं| ब्रह्मा विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान देते हैं|