इतिहास पढ़ें मुइज्जू

मालदीव की जो भौगोलिक स्थिति है, वह भविष्य में भी अलगाववादियों को तख्तापलट जैसा कदम उठाने के लिए उकसा सकती है

इतिहास पढ़ें मुइज्जू

मोहम्मद मुइज्जू को चाहिए कि वे अपरिपक्व नेता की तरह व्यवहार न करें

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। कहीं कोई कसर बाकी न रह जाए, इसके लिए मुइज्जू ने बयानों की झड़ी लगा दी है। वे कह रहे हैं कि उनके देश में 10 मई के बाद एक भी भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद नहीं रहेगा, यहां तक कि सादे कपड़ों में भी नहीं! वास्तव में मुइज्जू अपने देशवासियों के बीच यह भ्रम फैलाना चाहते हैं कि भारतीय सैन्यकर्मियों की मौजूदगी (जितनी भी है) से मालदीव की सुरक्षा को खतरा है! जब वे 'भारतीय सैन्यकर्मी' कहते हैं तो कई लोगों को लगता होगा कि मालदीव में भारत के हजारों सैनिक होंगे! जबकि वास्तविकता यह है कि मालदीव में भारत के सैन्यकर्मियों की संख्या एक सौ भी नहीं है। मात्र 88 सैन्यकर्मी वहां इसलिए तैनात हैं, ताकि जब इस देश को मदद की जरूरत पड़े तो वह तुरंत उपलब्ध हो जाए। भारत को आंखें दिखाने से पहले मुइज्जू अपने देश का इतिहास क्यों नहीं पढ़ते? उन्हें ज्यादा पन्ने पलटने की जरूरत नहीं है। सिर्फ साल 1988 तक का इतिहास पढ़ लें। इससे उन्हें पता चल जाएगा कि किस तरह अब्दुल्ला लुथुफी के नेतृत्व में मालदीव में तख्तापलट का प्रयास किया गया था। उस समय मालदीव की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कई अलगाववादी संगठनों ने धावा बोल दिया था। मालदीव के नेताओं के होश हिरण हो गए थे। स्थानीय सुरक्षा बल उस तख्तापलट को विफल करने में सक्षम ही नहीं थे। उनकी स्थिति नक्कारखाने में तूती की आवाज से ज्यादा कुछ नहीं थी। तब भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया था। भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाने के लिए हुंकार भरी थी और मालदीव को अलगाववादियों के शिकंजे से मुक्त कराया था।

Dakshin Bharat at Google News
मालदीव की जो भौगोलिक स्थिति है, वह भविष्य में भी अलगाववादियों को तख्तापलट जैसा कदम उठाने के लिए उकसा सकती है। जिस तरह चीन और पाकिस्तान से उसकी नजदीकियां बढ़ रही हैं, कोई आश्चर्य नहीं अगर ये दोनों देश ही वहां तख्तापलट की कोशिश करवा दें! उस परिस्थिति में (अगर वहां भारतीय सैन्यकर्मियों की उपस्थिति न हो) मालदीव की सरकार किससे मदद मांगेगी? जब तक वह संदेश भेजेगी, अलगाववादी अपना काम पूरा कर चुके होंगे! मोहम्मद मुइज्जू को यह भी मालूम होना चाहिए कि अभी जो भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में हैं, वे मुख्य रूप से दो हेलीकॉप्टरों और एक विमान का संचालन करने के लिए हैं। इन हेलीकॉप्टरों और विमान का इस्तेमाल किन कार्यों में होता है? ये मालदीव के लोगों की मदद करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। खासतौर से जब किसी को गंभीर चिकित्सा परिस्थितियों के कारण अस्पताल ले जाना हो अथवा तूफान, बाढ़ आदि आने पर बचाव एवं राहत अभियान चलाना हो। पूर्व में इनके जरिए भारतीय सैन्यकर्मियों ने अनेक लोगों के प्राण बचाए थे, लेकिन मोहम्मद मुइज्जू अपने देशवासियों को यह नहीं बताएंगे। वे बीजिंग जाकर शी जिनपिंग की चरण-वंदना कर आए हैं। उन्हें भ्रम हो गया है कि वे मालदीव के ऐसे अनूठे नेता बन गए हैं, जो विदेश नीति की दिशा ही मोड़ देंगे। उन्होंने मेडिकल बचाव मिशन के लिए विमानों का संचालन करने के वास्ते श्रीलंका से समझौता किया है। जबकि श्रीलंका तो खुद चिकित्सा समेत कई तरह की चीजों/सेवाओं के लिए भारत पर निर्भर है। जब उसके यहां हालात बिगड़े थे तो भारत ने ही सहायता पहुंचाई थी। मोहम्मद मुइज्जू को चाहिए कि वे अपरिपक्व नेता की तरह व्यवहार न करें और दूरदर्शिता दिखाते हुए भारत के साथ संबंधों को मधुर बनाएं।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी
Photo: NIA
हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के हर्मीस-900 ड्रोन को मार गिराने का दावा किया
ये पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोले- 'यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ बनने के लिए भारत के पास है विश्वसनीयता'
जब तक आतंकी हमले बंद न करे पाक, न हो उसके साथ कोई बातचीत: फारूक अब्दुल्ला
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को कक्षा 8 से 10 की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से रोका
निर्दोष नागरिकों की हत्या करना और हिंसा फैलाना अपराध हैं: प्रियंका वाड्रा
डिजिटल मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा