उच्च न्यायालय में महुआ मोइत्रा की याचिका संबंधी मामले से वकील ने अपना नाम वापस लिया

वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया

उच्च न्यायालय में महुआ मोइत्रा की याचिका संबंधी मामले से वकील ने अपना नाम वापस लिया

पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद हैं मोइत्रा

नई दिल्ली/भाषा। तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं सांसद महुआ मोइत्रा के वकील ने उच्च न्यायालय में दायर उस याचिका से जुड़े मामले में शुक्रवार को अपना नाम वापस ले लिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद निशिकांत दुबे, एक वकील, कई सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों को मोइत्रा के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस मामले से खुद को उस समय अलग कर लिया, जब वकील जय अनंत देहाद्रई ने अदालत को सूचित किया कि मोइत्रा के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में उनकी शिकायत वापस लेने के लिए शंकरनारायणन ने बृहस्पतिवार रात को फोन पर उनसे संपर्क किया था।

पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद मोइत्रा ने 17 अक्टूबर को दायर याचिका में दुबे, वकील देहाद्रई, सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’, सर्च इंजन गूगल, यूट्यूब और 15 मीडिया संस्थानों को उनके खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण बयानों के प्रकाशन, प्रसारण से स्थायी रूप से रोके जाने का अनुरोध किया है।

शंकरनारायणन ने कहा कि उन्होंने अपनी मुवक्किल मोइत्रा से कहा था कि देहाद्रई ‘बार’ के सदस्य हैं और उन्होंने पहले एक मामले में उनकी सहायता की है, इसलिए वह उन्हें उनसे बात करने दें, जिस पर वह सहमत हो गईं।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि वे ‘स्तब्ध’ हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि शंकरनारायणन ने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की, क्या वह अब भी इस मामले में पेश होने के योग्य हैं?

न्यायाधीश ने कहा, ‘इसका जवाब आपको खुद देना होगा। यह आपका फैसला है।’

इसके बाद शंकरनारायणन ने खुद को मामले से अलग कर लिया।

अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए दशहरा की छुट्टियों के बाद 31 अक्टूबर की तारीख तय की।

दुबे ने मोइत्रा पर संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक उद्यमी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से अनुरोध किया है कि मोइत्रा के खिलाफ आरोपों के मामले में जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाए।

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