मोदी का जी20 नेताओं से आह्वान- मौजूदा ‘विश्वास की कमी’ को दूर कर इसे ‘वैश्विक भरोसे’ में बदलें

मोदी ने कहा, ‘21वीं सदी एक ऐसा समय है जिसमें पूरी दुनिया को एक नई दिशा देने की क्षमता है'

मोदी का जी20 नेताओं से आह्वान- मौजूदा ‘विश्वास की कमी’ को दूर कर इसे ‘वैश्विक भरोसे’ में बदलें

'यह एक ऐसा समय है जब वर्षों पुरानी चुनौतियां हमसे नए समाधान की मांग करती हैं'

नई दिल्ली/भाषा। जी20 शिखर सम्मेलन पर यूक्रेन विवाद की छाया के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को समूह के नेताओं का आह्वान किया कि वे मौजूदा ‘विश्वास की कमी’ को दूर करें और अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था, आतंकवाद तथा खाद्य, ईंधन एवं उर्वरकों के प्रबंधन का ‘ठोस’ समाधान सामूहिक रूप से निकालें।

मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि जी20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ‘पूरी दुनिया को एक साथ आने और सबसे पहले वैश्विक विश्वास की कमी को वैश्विक विश्वास और भरोसे में बदलने के लिए आमंत्रित करता है’।

उन्होंने कहा कि इस समूह की भारत की अध्यक्षता देश के भीतर और बाहर ‘समावेश’ का प्रतीक बन गई है, जो ‘सबका साथ’ की भावना का प्रतिनिधित्व करती है।

मोदी ने कहा, ‘कोविड-19 के बाद दुनिया में विश्वास की कमी का बहुत बड़ा संकट आ गया है। संघर्ष ने इस विश्वास की कमी को गहरा कर दिया है। जिस तरह हम कोविड पर काबू पा सकते हैं, उसी तरह हम आपसी विश्वास के इस संकट से भी पार पा सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘यह हम सभी के लिए एक साथ चलने का समय है और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का मंत्र हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है।’

प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, इटली की उनकी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल और समूह के अन्य नेताओं की मौजूदगी में यह टिप्पणी की।

आमंत्रित देशों के नेता भी सत्र में उपस्थित थे। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

सभी को एक साथ चलने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, मोदी ने कहा, ‘चाहे वह एक अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था हो या उत्तर-दक्षिण विभाजन या पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी, भोजन, ईंधन और उर्वरक का प्रबंधन, या आतंकवाद और साइबर सुरक्षा से निपटना या स्वास्थ्य, ऊर्जा और जल सुरक्षा सुनिश्चित करना ...हमें इन चुनौतियों के लिए ठोस समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। न केवल वर्तमान के लिए, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी।’

मोदी ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ‘जनता की जी20’ बन गई है, क्योंकि लाखों भारतीय इससे जुड़े हैं क्योंकि देश भर के 60 से अधिक शहरों में 200 से अधिक बैठकें आयोजित की गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘सबका साथ की भावना के तहत भारत ने जी20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता का प्रस्ताव रखा। मेरा मानना है कि हम सभी इस प्रस्ताव पर सहमत हैं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत एक स्तंभ पर प्राकृत भाषा में अंकित एक संदेश का जिक्र करते हुए की।

उन्होंने कहा कि संदेश का अर्थ यह है कि मानवता का कल्याण और खुशी हमेशा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ढाई हजार साल पहले भारत की धरती ने पूरी दुनिया को यही संदेश दिया था।

मोदी ने कहा, ‘21वीं सदी एक ऐसा समय है जिसमें पूरी दुनिया को एक नई दिशा देने की क्षमता है। यह एक ऐसा समय है जब वर्षों पुरानी चुनौतियां हमसे नए समाधान की मांग करती हैं। इसलिए, हमें मानव केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।’

जी20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

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