भारत ने रचा इतिहास, सफल हुई चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग
ऐसा होने के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत/भाषा। भारत ने बुधवार शाम को अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में इतिहास रच दिया। इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) चंद्रमा की सतह को छूने में कामयाब हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी द. अफ्रीका के जोहानिसबर्ग से यह नजारा लाइव देख रहे थे।
ऐसा होने के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश और धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया, जो अब तक अनछुआ रहा है।.एलएम में लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं, जो बुधवार शाम को दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के निकट उतरे।
इसरो ने मंगलवार को लैंडर पर मौजूद कैमरों द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें साझा कीं और कहा, ‘अभियान तय समय के मुताबिक चल रहा है। सिस्टम की नियमित जांच की जा रही है। चंद्रयान-3 सुगमता से लगातार आगे बढ़ रहा है। ‘मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स’ (एमओएक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा है।’’
अगर चंद्रयान-3 अभियान चंद्रमा की सतह को छूने में और चार साल में इसरो के दूसरे प्रयास में रोबोटिक लूनर रोवर को लैंड करने में सफल रहने से भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में प्रौद्योगिकीय महारत रखने वाला अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है और इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सुरक्षित और आसानी से लैंडिंग करना, चंद्रमा पर घूमना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
चंद्रयान-2 अपने अभियान में विफल रहा था, क्योंकि इसका लैंडर ‘विक्रम’ सात सितंबर, 2019 को लैंडिंग का प्रयास करते समय लैंडर के ब्रेकिंग सिस्टम में खराबी आ जाने के कारण सतह पर उतरने से कुछ मिनट पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान का पहला अभियान 2008 में हुआ था।.
600 करोड़ रुपए की लागत वाला चंद्रयान-3 अभियान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए 14 जुलाई को शुरू हुआ था और आज तक इसने 41 दिन का सफर तय कर लिया है।