जयशंकर ने विपक्ष पर साधा निशाना- आप किस तरह के ‘इंडिया’ हैं?

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले 26 विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बनाया है

जयशंकर ने विपक्ष पर साधा निशाना- आप किस तरह के ‘इंडिया’ हैं?

जयशंकर ने कहा कि यह बेहद ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि विपक्ष ने ‘पक्षपातपूर्ण राजनीति' को प्राथमिकता दी है

नई दिल्ली/भाषा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में उनके बयान के दौरान हंगामा करने और सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे ‘इंडिया’ (विपक्षी गठबंधन का नाम) होने का दावा करते हैं, लेकिन अगर वे भारत के राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने के लिए तैयार नहीं हैं तो वे किस तरह के इंडिया हैं?

मालूम हो कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले 26 विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बनाया है जिसका नाम उन्होंने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ रखा है।

जयशंकर ने सदन में विपक्षी सदस्यों के लगातार हंगामे के बीच भारत की विदेश नीति की सफलताओं तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं के बारे में सदस्यों को जानकारी देने के लिए सदन में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक बयान दिया।

उन्होंने बयान देना अभी शुरू ही किया था कि विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान और इस विषय पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर अपना विरोध जताने के लिए आज सदन में काले कपड़े पहनकर आए थे।

जयशंकर ने कहा कि यह बेहद ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि विपक्ष ने ‘पक्षपातपूर्ण राजनीति' को प्राथमिकता दी है।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सरकार की उपलब्धि नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक उपलब्धि है।

भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अन्य देशों से सर्वोच्च सम्मान मिलने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर आप राष्ट्रपति का सम्मान नहीं कर सकते, उपराष्ट्रपति का सम्मान नहीं कर सकते, प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं कर सकते, अगर आप विदेश मंत्री को सदन में बयान देने की अनुमति नहीं देंगे तो फिर यह बहुत खेदजनक स्थिति है।’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हितों के मामलों में राजनीति को दरकिनार कर देना चाहिए।

बाद में संसद भवन परिसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कहा कि उनके बयान के दौरान विपक्ष ने जिस प्रकार का बर्ताव किया उससे ‘मुझे बुरा लगा’।

उन्होंने कहा, ‘बहुत अफसोस की बात है कि यह सब ऐसे विषय पर हुआ जिससे पूरे देश का हित जुड़ा हुआ है।’

उन्होंने कहा, ‘यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। यह देश का हित है। यह भारत की विदेश नीति है। किसी पार्टी की विदेश नीति नहीं है।’

जयशंकर ने कहा कि जब वह भारत की विदेश नीति की उपलब्धियों को सदन में पेश कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि विपक्ष उन्हें सुनने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था।

उन्होंने कहा, ‘पूरा हो-हल्ला हो रहा था। लग रहा था कि उनके मन में था कि कुछ भी सफलता हो, कहीं भी भारत आगे बढ़े ... उसकी या तो आलोचना करनी चाहिए या जो संदेश जा रहा है ... उसे रोकना चाहिए।’

जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां सालों से सभी दल मिलजुल कर काम करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘आपस में जो भी विवाद हो, कम से कम देश के बाहर तो हमें पूरे भारत की एकजुट छवि पेश करनी चाहिए। जहां देश का हित, प्रगति और उन्नति की बात हो, हमें राजनीति से अलग हटकर उसकी प्रशंसा करनी चाहिए।’

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