बम और आटा

लंबे समय से आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ा रहे इस पड़ोसी मुल्क में आम जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है

बम और आटा

'कंगाली में आटा गीला' की कहावत पाकिस्तान पर पूरी तरह लागू होती है

पाकिस्तान में बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच वहां की सरकार आम जनता को झूठे सपने दिखाने में व्यस्त है। उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से ऋण लेने के लिए हरी झंडी नहीं मिली है, लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और वित्त मंत्री इशाक डार बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि कर्मी स्तरीय समझौते पर पहुंचने के लिए पाकिस्तान ने सभी शर्तें पूरी कर ली हैं और समझौते से पीछे हटने का कोई कारण नहीं है। जबकि आईएमएफ ने ऋण शर्तें पूरी करने के पाकिस्तान के दावे को खारिज किया है। 

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लंबे समय से आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ा रहे इस पड़ोसी मुल्क में आम जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। खान-पान और जरूरत की सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। सत्ता पक्ष यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि यह सब तो पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का किया-धरा है, जबकि वे तो पाक-साफ हैं। 

उधर, इमरान अपने हर ट्वीट, बयान और भाषण में पाक सरकार को आड़े हाथों लेकर महंगाई और ऋण न मिलने का ठीकरा शहबाज शरीफ पर फोड़ रहे हैं। मुल्क में आतंकवाद की आग लगी हुई है। कहीं आतंकवादी उन सैनिकों को मौत के घाट उतार रहे हैं, जिन्हें कभी उन्होंने तैयार किया था। कहीं शिक्षकों पर गोलीबारी कर जान ली जा रही है। 

कंगाली में आटा गीला की कहावत पाकिस्तान पर पूरी तरह लागू होती है, लेकिन अब वहां आटा भी मुश्किल से मिल रहा है। आज पाकिस्तान के लिए दूर-दूर तक राहत की कोई किरण नजर नहीं आती है। वहां आतंकवाद और कट्टरपंथी उन्माद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कोई विदेशी निवेश के लिए तैयार नहीं है। दिन-प्रतिदिन कंपनियों पर ताले लग रहे हैं।

पाक को देर-सबेर चीन, सऊदी अरब, अमेरिका या आईएमएफ से थोड़े-से डॉलर मिल ही जाएंगे, लेकिन अब ये उसे बहुत कड़ी शर्तों के साथ देंगे, जो किसी अपमान से कम नहीं है। निस्संदेह मौजूदा हालात देखकर इस बात की पूरी आशंका है कि आने वाले समय में पाक के हालात और बिगड़ेंगे। उसे इस मुश्किल से सिर्फ और सिर्फ भारत निकाल सकता है। 

अगर पाकिस्तान कश्मीर राग अलापना बंद कर दे, आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई करे, उनके संगठनों को खत्म करने के लिए ईमानदारी से कदम उठाए और अपने नागरिकों की भलाई की ओर ध्यान दे तो उसकी यह कंगाली कुछ ही वर्षों में पूरी तरह दूर हो सकती है। उसे बांग्लादेश से कुछ शिक्षा लेनी चाहिए। वहां भी कई समस्याएं हैं, लेकिन बांग्लादेशी सरकार ने भारत से दुश्मनी करने के बजाय सहयोग का रास्ता अपनाया। उसने परमाणु बम के बजाय अपने नागरिकों की रोटी की ओर ध्यान दिया। 

बेशक आज बांग्लादेश के पास कोई भारी-भरकम फौज नहीं है, परमाणु बम नहीं है, लेकिन उसके पास रोटी है, रोजगार है और सुरक्षा भी है, क्योंकि वह निश्चिंत है कि भारत उसका कभी अहित नहीं करेगा। उसे भारत से कोई खतरा नहीं है। आज पाकिस्तान के पास परमाणु बम है, लेकिन आटा नहीं है। जब उसने वर्ष 1998 में परमाणु बम का परीक्षण किया तो इस बात का खूब ढिंढोरा पीटा कि यह बम उसे सुरक्षित रखेगा। 

आज वहां हालात इतने मुश्किल हैं कि हर अक्लमंद शख्स परमाणु बम की सुरक्षा की बात कर रहा है। चूंकि अगर यह आतंकवादियों के हाथ लग गया तो बड़ी तबाही आ सकती है। अमेरिका और वैश्विक संस्थाओं को चाहिए कि वे पाकिस्तान को किसी भी तरह की सहायता/ऋण देने से पहले उसके परमाणु बमों को कब्जे में लें और उन्हें नष्ट कर दें। अन्यथा यह देश पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।

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