नमक स्वादानुसार!
ज्यादा नमक खाना असमय मौतों की बड़ी वजह बन सकता है
भोजन के लिए नमक जरूरी है, लेकिन इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए
मिस्टर 'ए' अपनी मां के हाथ का खाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा लगता है कि वे खाने में नमक कम डालती हैं। इसलिए जब दोपहर को दफ्तर में खाना खाने बैठते हैं तो अपनी आदत के अनुसार और नमक डाल लेते हैं।
कोरोना महामारी के बाद मिस्टर 'बी' की पत्नी खाने में पौष्टिकता का खास ध्यान रखने लगी हैं। इसके बावजूद 'बी' को खाना तब तक जायकेदार नहीं लगता, जब तक कि वे उसमें ऊपर से कुछ नमक और न छिड़क लें।यूं तो मिस्टर 'सी' अपनी सेहत का काफी ध्यान रखते हैं, लेकिन बात जब सब्जी के स्वाद की आती है तो वे उसमें अतिरिक्त नमक ज़रूर डालते हैं। इसके लिए वे उसे चखने की जहमत भी नहीं उठाते।
ये कुछ उदाहरण हैं, जो हम अपने आस-पास देख सकते हैं। नमक भोजन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसकी अत्यधिक मात्रा बहुत हानिकारक हो सकती है। यह सेहत का कितना बड़ा नुकसान कर सकती है, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट का अध्ययन करना जरूरी है, जिसमें उन लोगों के जीवन को लेकर चिंता जताई गई है, जो ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करते हैं।
रिपोर्ट का यह सार चिंताजनक है कि ज्यादा नमक खाना असमय मौतों की बड़ी वजह बन सकता है। यह आंकड़ा सैकड़ों या हजारों में नहीं, बल्कि लाखों में है। अगर जल्द ही लोगों ने अपने खानपान की आदतें नहीं बदलीं तो उन्हें भविष्य में खराब सेहत के तौर पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि सोडियम सेवन के लिए नीतियां लागू करने से साल 2030 तक दुनियाभर में अनुमानतः 70 लाख लोगों की ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं।
निस्संदेह भोजन के लिए नमक जरूरी है, लेकिन इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए। शास्त्रों में अति से सदैव दूर रहने का निर्देश दिया गया है- अति सर्वत्र वर्जयेत्। अधिक मात्रा में खाया गया पौष्टिक भोजन भी रोग उत्पन्न करता है। अधिक मात्रा में ली गई जीवनदायिनी औषधि भी विष के समान होती है। तो अधिक नमक हानिकारक क्यों नहीं होगा?
आमतौर पर अधिक मात्रा में नमक के सेवन को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। प्राय: बड़ों को देखकर बच्चों में भी यह आदत पैदा हो जाती है। उनके लिए यह कह दिया जाता है कि नमक तो स्वाद के अनुसार डाला जाता है, हर किसी के लिए स्वाद का पैमाना अलग होता है।
वास्तव में यह कहकर स्थिति की गंभीरता की उपेक्षा कर दी जाती है। नमक की ज्यादा मात्रा उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, किडनी रोग और हड्डियों के रोग पैदा करती है। सोडियम सेवन की मात्रा कम करने को लेकर डब्ल्यूएचओ की ओर से यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आएगी।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस के इन शब्दों पर ध्यान देना चाहिए कि 'अस्वस्थ भोजन का सेवन दुनियाभर में मौतों और बीमारियों का प्रमुख कारण है और सोडियम की अत्यधिक मात्रा का सेवन, उनमें एक मुख्य कारण है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि अधिकतर देशों ने सोडियम सेवन की मात्रा अनिवार्य रूप से कम करने वाली नीतियां लागू नहीं की हैं, जिसकी वजह से उनके लोगों को दिल का दौरा पड़ने, आघात और अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बना हुआ है।'
तो इसके लिए क्या किया जाए? लोगों को कम नमक खाने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाए? चूंकि दक्षिण एशियाई देशों में ज्यादातर लोग अपने स्वास्थ्य को उस तरह प्राथमिकता नहीं देते, जिस तरह दी जानी चाहिए। ऐसे में यहां ज्यादा नमक खाने की आदत को कम करने में बहुत समय लग सकता है। हालांकि कोरोना काल में बहुत लोग स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने लगे हैं।
वहीं, सोशल मीडिया भी स्वास्थ्य संबंधी अपडेट देने का बड़ा मंच बन चुका है। अगर इसका सदुपयोग करते हुए अधिक नमक सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जाए तो लोग जरूर इसे गंभीरता से लेंगे।
बहुत लोगों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि सोडियम के अत्यधिक सेवन से पेट के कैंसर, मोटापे और गुर्दों से जुड़ी कुछ अन्य बीमारियों के बीच संबंधों के सबूत उभरकर सामने आ रहे हैं। इसलिए नमक स्वाद के अनुसार नहीं, स्वास्थ्य के अनुसार खाना ही उचित है।