तीन उपग्रहों के साथ एसएसएलवी ने श्रीहरिकोटा से दूसरी ‘विकास उड़ान’ भरी
एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया
एलवी का उद्देश्य 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है
श्रीहरिकोटा/भाषा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है।इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं।
एसएसएलवी पिछले साल सात अगस्त को अपनी पहली विकास उड़ान में कक्षा संबंधी विसंगति और रॉकेट के उड़ान पथ से भटक जाने के कारण आंशिक रूप से असफल रहा था।
एलवी का उद्देश्य 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। यह कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है। प्रक्रियागत कम समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने का लचीलापन इसकी खासियत है और इसे प्रक्षेपण के लिए न्यूनतम अवसंरचना की आवश्यता होती है।
ईओएस-07 156.3 किलोग्राम वजनी उपग्रह है, जिसे इसरो ने बनाया और विकसित किया है। जानुस 10.2 किलोग्राम वजनी और आजादीसैट-2 8.7 किलोग्राम भार वाला उपग्रह है। आजादीसैट को ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के मार्गदर्शन में भारत की करीब 750 छात्राओं के प्रयास से बनाया गया है।
इस मिशन का उद्देश्य तीनों उपग्रहों को 450 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करना है।