ड्रैगन की चाल

बाढ़ से बुरी तरह तबाही झेल रहे पाकिस्तान को अब आखिरी सहारा चीन ही नजर आ रहा है
जिस चीन-पाक दोस्ती को हिमालय से ऊंची, समुद्र से गहरी और शहद से मीठी कहा जाता था, अब उसमें कड़वाहट साफ नजर आने लगी है। इस दोस्ती का आधार सिर्फ भारत से दुश्मनी है। चूंकि पाकिस्तान में ऐसा कोई उद्योग नहीं है, जिसके लिए चीन उससे दोस्ती करने को लालायित रहे। जिस दिन चीन के साथ भारत के संबंध ठीक हो जाएंगे, इस पड़ोसी देश को ड्रैगन उसी तरह निकाल कर फेंकेगा, जिस तरह कोई दूध में गिरी मक्खी को निकाल फेंकता है।
बाढ़ से बुरी तरह तबाही झेल रहे पाकिस्तान को अब आखिरी सहारा चीन ही नजर आ रहा है। भारत विरोध के नाम पर उसके हुक्मरान चीन की जिन उचित-अनुचित शर्तों को मानते रहे हैं, वे अब उसके गले का फंदा बन सकती हैं। पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर हुए आतंकी हमलों से चीन खासा नाराज है। अब तक वहां चीनियों पर दर्जनभर हमले हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई है।अब पाक ने सीपेक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनियों के लिए बुलेटप्रूफ वाहनों पर सहमति जताकर अपने इस नकली दोस्त को भी बता दिया है कि उसके यहां हालात कितने खराब और खतरनाक हैं! जहां हर समय गोली चलने और बम फूटने का अंदेशा हो, वहां कोई कारोबार कैसे सफल हो सकता है? स्पष्ट है कि अगर सीपेक का काम पूरा हो गया तो भी इस मार्ग पर हमेशा खतरा मंडराता रहेगा। जो वाहन सामान लादकर जाएंगे, आतंकवादी उन्हें उड़ाने की कोशिश करते रहेंगे। चीन यह कहकर भविष्य का खाका पेश कर चुका है कि अगर पाक उसके कर्मचारियों की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है तो वह अपने सुरक्षाकर्मी भेजने पर विचार कर सकता है।
वास्तव में अगर पाकिस्तान की जमीन पर अपने नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा चीन खुद ले लेता है तो यह भविष्य की रणनीति का ही एक भाग होगा। दरअसल चीन चाहता है कि पाकिस्तान में ऐसे हालात पैदा हों, ताकि उसे किसी बहाने खुद की सेना भेजने का मौका मिले। वह सुरक्षा के बहाने एक विशाल भूभाग पर अपने सैनिक तैनात कर देगा। अगर सीपेक विफल हो जाता है तो चीन को इससे खास नुकसान नहीं है। वह उस स्थिति में पाक पर अपना पैसा ब्याज समेत वापस करने के लिए दबाव डालेगा, जो जाहिर है कि नहीं लौटा सकेगा।
उस स्थिति में चीन चाहेगा कि वह अगले कई दशकों के लिए यह इलाका लीज पर ले ले। पाकिस्तान के पास इस प्रस्ताव का विरोध करने का साहस नहीं होगा, जिसके बाद चीन संबंधित भूभाग पर अपने कब्जे को पुख्ता बनाने की कोशिश करेगा। यह भारत के लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है। अगर चीन अपने कर्जदार पाक की जमीन को लेकर मंसूबों में सफल होता है तो भारत को इससे पैदा होने वाले हालात के लिए तैयार रहना होगा। तब न केवल आतंकवाद का खतरा बढ़ सकता है, बल्कि सैन्य टकराव बढ़ सकता है। इसलिए भारत को हथियारों का आधुनिकीकरण करते हुए सैन्य शक्ति को और मजबूत करना होगा। साथ ही अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे।
निस्संदेह भारत ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, लेकिन हमें इस पर मुग्ध होकर नहीं रहना है। अब हमारा लक्ष्य सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना होना चाहिए। अर्थव्यवस्था का सीधा संबंध देश की सुरक्षा से होता है। अगर देश समृद्ध होगा तो सेना के आधुनिकीकरण के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे हम हर चुनौती का और ज्यादा मजबूती के साथ सामना कर सकेंगे।