महेंद्र सिंह धोनी 36 बरस के हुए, दोराहे पर पहुंचा कैरियर

महेंद्र सिंह धोनी 36 बरस के हुए, दोराहे पर पहुंचा कैरियर

किंगस्टन। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की बढती मांग के बीच भारतीय कप्तान विराट कोहली ने पूर्व कप्तान का समर्थन किया है। कोहली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच मैचों की श्रृंखला में ३-१ से बढत बनाने के बाद कहा, वह गेंद को अच्छे से पीट रहे हैं। आपको उन्हें बताना नहीं होता कि हालात के अनुरूप कैसे खेला जाए और पारी को कैसे बढाया जाए। धोनी ने तीसरे मैच में ११४ गेंद में ५४ रन बनाए जिसमें उनका पुराना आक्रामक तेवर कहीं नजर नहीं आया। कोहली ने इस बारे में पूछने पर कहा, आपको यह भी देखना होगा कि आप किस तरह के विकेट पर खेल रहे हैं। मैं अभ्यास के दौरान स्पिनरों को शॉट्स लगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन नहीं लगा सका क्योंकि यह विकेट शॉट्स खेलने लायक नहीं है। उन्होंने चैम्पियंस ट्राफी में श्रीलंका के खिलाफ मैच में धोनी की पारी का जिक्र किया। उन्होंने कहा, श्रीलंका के खिलाफ चैम्पियंस ट्राफी में उन्होंने शानदार पारी खेली। यहां भी पहले मैच में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा। हम एक मैच या एक पारी के बाद संयम खोने लगते हैं। किसी भी बल्लेबाज को खराब फार्म का सामना करना प़ड सकता है। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ अभी कोई मसला है। वह बेहतरीन खेल रहे हैं। कप्तान ने कहा, यह सिर्फ पिछला मैच ही था जहां वह स्ट्राइक रोटेट नहीं कर सके।

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नई दिल्ली। आप अच्छा कर रहे हैं तो उम्र सिर्फ एक संख्या है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो खेल में ३६ बरस की उम्र हमेशा क्षमता को लेकर कुछ संदेह पैदा करती है। पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने बेहतरीन कैरियर में जब ३०० एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने से सिर्फ चार मैच दूर हैं तब वह दोराहे पर ख़डे हैं। खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में शामिल धोनी ने अपने १३ साल के एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कैरियर की संभवत: सबसे बदतर पारी खेली जब वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने ११४ गेंद में ५४ रन बनाए और टीम १९० रन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई। नॉर्थ साउंड में खेली धोनी की इस पारी ने बेशक कुछ सवाल ख़डे किए। कुछ सवालों के जवाब तो क्रिकेट प्रेमियों के पास मौजूद हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल का जवाब वह स्वयं ही दे सकते हैं। सवाल यह है कि क्या २०१९ विश्व कप में ३८ साल की उम्र में वह भारत के लिए मैच जीत सकते हैं? इसका जवाब सिर्फ धोनी के पास है। हाल के समय में धोनी के बल्लेबाजी में संघर्ष करने से लगता है कि फिनिशर की उनकी क्षमता में गिरावट आई है लेकिन अगर यह पूछा जाए कि क्या वह अब भी सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और टीम के सबसे फिट खिलाि़डयों में से एक हैं जो इसका जवाब भी निश्चित तौर पर हां होगा। सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारत के महान खिलाि़डयों में शामिल धोनी को लेकर यह अजीब सी स्थिति है। वह कुछ मैच जिता सकते हैं, विकेट के पीछे अपनी चपलता से वह शानदार हैं लेकिन क्या यह कप्तान कोहली को समझाने के लिए पर्याप्त होगा कि वह ब्रिटेन में होने वाले विश्व कप से पूर्व उन्हें ४५ मैच और खेलने का मौका दे। धोनी के पास क्षमता और प्रतिभा है लेकिन ऋषभ पंत जैसी युवा प्रतिभा उन पर दबाव बना रही है जिसे मौका मिलने का इंतजार है। धोनी के पक्ष में जो चीज जाती है वह भारत का मजबूत बल्लेबाजी क्रम है। शीर्ष क्रम में कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन मौजूद हैं जबकि उनका साथ देने के लिए लोकेश राहुल और अजिंक्य रहाणे हैं और ऐसे में अधिकांश दिन धोनी की जरूरत नहीं प़डेगी। अंतिम ओवरों में ताब़डतो़ड बल्लेबाजी के लिए हार्दिक पंड्या भी टीम में शामिल हैं। समस्या यह है कि पांचवां और छठा क्रम काफी महत्वपूर्ण जिसमें विकेट पर टिकने का अधिक समय नहीं मिलता। धोनी मैदान पर उतरते ही ब़डे छक्के ज़डने वाले खिलाि़डयों में शामिल नहीं रहे हैं लेकिन अब समस्या यह है कि वह एक-दो रन भी शुरुआत में नियमित तौर पर नहीं बना रहे हैं जिससे दबाव बन रहा है। कोहली हालांकि धोनी के अनुभव पर निर्भर रह सकते हैं। ऐसा नहीं है कि ३६ साल के बाद क्रिकेटरों ने अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं किया। सचिन तेंदुलकर ने वर्ष २००९-११ के बीच टेस्ट और वनडे दोनों में कुछ बेहतरीन पारियां खेली।

खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में शामिल धोनी ने अपने 13 साल के एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कैरियर की संभवत: सबसे बदतर पारी खेली जब वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 114 गेंद में 54 रन बनाए और टीम 190 रन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई। नॉर्थ साउंड में खेली धोनी की इस पारी ने बेशक कुछ सवाल खड़े किए।

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