श्रावण में चाहते हैं शिव की कृपा तो कभी न करें ये 4 काम
श्रावण में चाहते हैं शिव की कृपा तो कभी न करें ये 4 काम
शिवभक्त वर्षभर श्रावण की प्रतीक्षा करते हैं, विशेष रूप से इस मास में आने वाले सोमवार की। इस अवधि में शिवभक्तों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इन्हें विभिन्न ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है।
बेंगलूरु। भगवान शिव के पूजन के लिए श्रावस मास विशेष महत्व रखता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल श्रावण का शुभारंभ तो 27 जुलाई से हो रहा है, परंतु उदया तिथि के कारण यह 28 जुलाई से माना जाएगा। इस बार श्रावण 30 दिनों तक चलेगा। 28 जुलाई को श्रावण का प्रथम दिवस है। श्रावण का पहला सोमवार 30 जुलाई को है। शिवभक्त वर्षभर श्रावण की प्रतीक्षा करते हैं, विशेष रूप से इस मास में आने वाले सोमवार की। इस अवधि में शिवभक्तों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इन्हें विभिन्न ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है। जानिए, ऐसे कार्यों के बारे में जिनसे श्रावण में तो दूर ही रहना चाहिए।
1. श्रावण में अपनी दिनचर्या पर खास ध्यान दें। इस दौरान तन और मन दोनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। जहां तक संभव हो, सूर्योदय से पहले उठें। इस मास में सुबह देर तक सोना आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया। ऐसा करना रोगकारक होता है।2. श्रावण में प्रकृति की सृजन शक्ति जोरों पर होती है। इस दौरान पौधे लगाए जाते हैं। आप भी श्रावण में प्रकृति के निकट जाएं और पौधे लगाएं। ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न पौधे लगाने को ग्रहदोष निवारण के तौर पर देखा गया है। इसके अलावा प्रकृति को नुकसान न पहुंचाएं। हरे वृक्ष को श्रावण में काटना घोर पाप माना जाता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए जरूरी है कि पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाएं।
3. शिवजी का पूजन करें, साथ ही उनसे शीतलता का गुण ग्रहण करें। भगवान भोलेनाथ का शीतल जल से अभिषेक होता है, जो हमें क्रोध से दूर रहने का संदेश देते हैं। इसलिए श्रावण में क्रोध न करें, किसी को कटु वचन न बोलें। किसी की निंदा से दूर रहें। ऐसे कार्यों को शास्त्रों में दुर्गुण माना गया है।
4. श्रावण में सात्विकता पर विशेष जोर दें। सात्विक आहार और सात्विक विचारों से ही जीवन निर्मल होता है। श्रावण मास में तामसी पदार्थों का सेवन न करें। आध्यात्मिक दृष्टि से तो ऐसा अनुचित है ही, इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में तामसी पदार्थों का सेवन रोगकारी कहा गया है। बेहतर होगा कि तामसी पदार्थों से हमेशा दूर रहें और सदैव सात्विक आहार, सात्विक विचारों को जीवन में स्थान न दें।