मुफ़्त का राग
पाकिस्तान ने हमेशा ही आतंकवाद को पाला और उसी का निर्यात किया है
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत ने पाकिस्तान के झूठे आरोपों की कलई खोल दी। वहां भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव मिजिटो विनिटो ने जिन शब्दों के साथ पाक के पाखंड का पर्दाफाश किया, वह सराहनीय है। भारत को अपने रुख में थोड़ी और धार लानी होगी। अब तक उसकी भलमनसाहत का पाकिस्तानी हुक्मरान फायदा उठाते रहे हैं।
आश्चर्य की बात है कि भारत अपने हक की ज़मीन और नागरिकों के हितों की बात करता है तो पाकिस्तान उसे ‘आक्रांता’ बताकर खुद को मासूम की तरह पेश करता है, जबकि पाकिस्तान खुद आक्रांता है। उसने जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिसमें से एक हिस्सा चीन को दे चुका है। भारत ने इतने युद्धों में पाकिस्तान को पटखनी देकर भी उसके साथ उदारता बरती है, जिसके बदले आज शहबाज शरीफ संरा में जाकर कश्मीर राग अलाप रहे हैं। उनका यह कथन अत्यंत हास्यास्पद है कि पाकिस्तान भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है।हकीकत तो इससे ठीक उलट है। पाकिस्तान ने हमेशा ही आतंकवाद को पाला और उसी का निर्यात किया है। आज अफगानिस्तान में हाहाकार मचा है तो उसका जिम्मेदार भी पाकिस्तान है, जिसने आतंकवादियों के लिए कैंप खोले, जो आज तक चल रहे हैं। भारत तो लंबे अरसे से आतंकवाद की पीड़ा झेल ही रहा है।
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत की उदारता का अनुचित लाभ उठाकर पाकिस्तान इतना उद्दंड हुआ है। संरा महासभा बैठक में भारत ने पाकिस्तान में हिंदू, सिक्ख, ईसाई बच्चियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और दुष्कर्म का मुद्दा उठाकर मानव जीवन के प्रति संवेदना दिखाई है।
भारत को इससे आगे बढ़कर प्रयास करने होंगे। पाकिस्तान में ऐसी जितनी भी घटनाएं होती हैं, उनका प्रमाण सहित ब्योरा विभिन्न देशों की सरकारों, प्रतिष्ठित संस्थाओं को भेजना चाहिए। दुःखद है कि पाकिस्तान का झूठ बिक जाता है, जबकि हम सच भी दुनिया को समझा नहीं पाए। हां, अपराधी कितना ही शातिर क्यों न हो, उसे देर-सबेर अपने पापों का फल भोगना ही पड़ता है।
आज पाकिस्तान जिन बुरे हालात से गुजर रहा है, यह उसके उन्हीं पापकर्मों का परिणाम है। संरा महासभा में भाग लेने अमेरिका गए शहबाज़ शरीफ़ ने एक न्यूज चैनल को जो साक्षात्कार दिया, उसमें उनके हावभाव देखकर साफ मालूम होता है कि पाक कहां खड़ा है। शरीफ दुनिया के अमीर देशों से अपील कर रहे हैं कि वे उनकी मदद करें। इस समय पाकिस्तान में भारी बाढ़ ने लाखों लोगों को विस्थापित कर दिया है। सरकारी आंकड़ों में मृतकों की संख्या क़रीब 1,500 बताई गई है, लेकिन ज़मीनी हालात बता रहे हैं कि इससे कहीं ज्यादा लोग मारे गए हैं।
बाढ़ से उपजे हालात के कारण 30 अरब डॉलर के नुक़सान का अनुमान लगाया जा रहा है। इतनी रकम का इंतजाम करना पाकिस्तान के लिए टेढ़ी खीर है। अभी तो उसके पास सिर्फ 8.3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे वह बमुश्किल दो महीने गुजारा चला सकता है। यह साल किसी तरह निकाल भी दिया तो अगले साल फिर कंगाली मुंह खोले मिलेगी। तब तक बाढ़ का पानी भी सूख चुका होगा। लोग अपने घरों की मरम्मत के लिए सरकार से मदद मांगेंगे।
यह भी संभव है कि इस बीच शरीफ सरकार गिर जाए। अगर नहीं गिरती है तो भी निजात नही, क्योंकि अगले साल चुनाव होने हैं। जनता से वोट लेने के लिए कुछ तो करके दिखाना होगा। इसलिए खाली खजाने से कश्मीर राग ही निकल रहा है, जिसमें एक रुपया खर्च नहीं होता।