नीतीश की नई पारी

नीतीश की नई पारी

बिहार की राजनीति में बुधवार को ब़डे बदलाव हुए। नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल महागठबंधन का दामन छो़डकर मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा दिया और भारतीय जनता पार्टी ने इस कदम का स्वागत करते हुए नीतीश को पुनः सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया। गुरुवार को नीतीश ने फिर एक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ल ेली। महागठबंधन की सरकार पर पिछले कुछ अरसे से खतरे के बादल मंडराने लगे थे। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर इस्तीफा देने का दबाव डाला जा रहा था और तेजस्वी इस बात के लिए राजी नहीं थे। साथ ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई द्वारा लालू प्रसाद यादव परिवार के लगभग सभी सदस्यों से पूछताछ चल रही थी। बुधवार को अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद त्यागपत्र देकर बिहार की राजनीति के समीकरण बदल डाले। कहा जा रहा था कि महागठबंधन को बचाने के लिए नीतीश तेजस्वी से नरमी बरतेंगे लेकिन राजनैतिक शतरंज में राजद और कांग्रेस का दामन छो़डकर भाजपा से अपनी पुरानी दोस्ती को पुनः दुरुस्त करने का फैसला ले डाला। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उन्होंने यह सा़फ कर दिया की वह भ्रष्टाचार का समर्थन कतई नहीं करेंगे। साथ ही भाजपा को भी राष्ट्रीय मंच पर कांग्रेस को आ़डे हाथों लेने का एक और मौका मिल गया। नीतीश ने अपनी छवि को और मजबूत कर लिया और इसका फायदा वर्ष २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनावों में जनता दल (यू) को अवश्य मिलेगा। नीतीश ने बिहार की जनता को सा़फ सन्देश दिया है कि राज्य का विकास ही उनका प्रमुख लक्ष्य है और इस दिशा में वह किसी भी तरह का समझौता नहीं करने वाले हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं का बिहार को अब और अधिक लाभ मिल सकेगा। साथ ही राजद के सरकार से बाहर हो जाने से नीतीश कुमार पर किसी भी तरह के समझौते का दबाव नहीं होगा और आने वाले दिनों में राज्य हित में कई क़डे फैसले भी ले सकते हैं। नीतीश को अपनी इस नई पारी में भ्रष्टाचार के खिलाफ ल़डाई में साथ जु़डने की बात नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर कही है। पहले भी भाजपा और जनता दल (यू) काफी लम्बे समय तक एक साथ रहे थे और अब यह दोनों दल फिर एक बार साथ आ गये हैं। वर्ष २०१४ के आम चुनाव से पहले भाजपा से नाता तो़डकर नीतीश अलग हुए थे। उनका यह फैसला भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आया था। परंतु पिछले कई महीनों से दोनों ही नेता कई बार मंच साझा कर चुके हैं और दोनों के बीच दिखे बेहतर रिश्तों से सा़फ हो चला था कि जल्द ही बिहार की राजनीति में कोई ब़डा बदलाव आ सकता है।

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