हिंसक भीड़ का खतरा

हिंसक भीड़ का खतरा

बुधवार को झारखण्ड के बोकारो में हिंसक भी़ड ने पच्चीस वर्षीय एक युवक को जान से मारने की कोशिश की। युवक को कुछ लोगों ने एक सरकारी केंद्र में महिला के साथ पाया था और किसी बात पर कहा सुनी होने के बाद एकत्रित हुई भी़ड ने युवक को पीटना शुरु कर दिया। गंभीर रूप से घायल युवक को पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। पिछले कुछ महीनों में ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है और संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कई बार हो चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा में हिंसक भी़ड की घटनाओं पर बहस तो हुई है लेकिन इस चुनौती का सामना करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं। सभी राजनैतिक दलों को यह समझना होगा कि केवल सदन में आरोप-प्रत्यारोप करने से यह समस्या कम नहीं होगी बल्कि लगातार ब़ढती जाएगी। एक-दूसरे पर आरोपों का कीच़ड उछालने से समस्या का समाधान कत्तई नहीं होगा। हिंसक भी़ड की घटनाएं ब़ढ रही हैं और देश के प्रधानमंत्री भी सार्वजनिक रुप से कह चुके हैं कि ऐसी हिंसा निंदनीय है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क़डी कार्यवाही की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं थम नहीं रही हैं। राजनेता अपने निजी फायदे के लिए इन घटनाओं के तथ्यों को तो़ड-मरो़ड के पेश करते हैं। कई जगहों पर गाय के नाम पर ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। सच तो यह है कि ऐसी घटनाओं की वजह से विश्व में भारत की छवि खराब हो रही है लेकिन इस विषय पर लगातार राजनीति करने से राजनैतिक दलबाज नहीं आ रहे हैं। इन घटनाओं की वजह से भारतीय कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान उठते हैं और ख़ास कर विपक्षी दल इन घटनाओं के भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में होने की बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सच तो यह है कि ऐसी घटनाएं पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में भी हुई हैं। हिंसक भी़ड एक तरह का खतरनाक हथियार है क्योंकि ऐसी घटनाओं में सुबूतों के अभाव के कारण जिम्मेदार लोगों को दबोचने में परेशानी होती है।हिंसक भी़ड की घटनाओं पर काबू पाने के लिए सभी राज्यों को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। अगर ़कानून व्यवस्था पर सरकारों की पक़ड नहीं रहेगी तो भविष्य में ऐसी घटनाएं ब़ढेंगी। विपक्ष को निजी स्वार्थ को परे रखकर देश हित में सरकार के साथ मिलकर हिंसक भी़ड की वारदातों को रोकने के लिए कानून दुरुस्त कराने में सहायक बनना होगा। किसी भी देश में कानून को अपने हाथों में लेने वालों के खिलाफ क़डी कार्यवाही करने का जिम्मा पुलिस प्रसाशन का होता है। हमारे देश में इस समस्या पर जल्द से जल्द काबू पाने की आवश्यकता है। अगर ऐसा करने में देर हुई तो यह सामाजिक आपदा का रुप ले सकती है।

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