बिजली के वाहन ही भविष्य

बिजली के वाहन ही भविष्य

पिछले दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने वर्ष २०३० तक भारत में केवल बिजली से चलने वाले वाहनों के अनोखे लक्ष्य के बारे में बताते हुए कहा था कि अगले दशक में भारत की अर्थ व्यवस्था को मिलने वाली मजबूती और लगातार ब़ढते शहरीकरण की वजह से देश में सार्वजनिक परिवहन की सेवाओं में काफी सुधर आएगा। साथ ही यह भी बताया कि वर्ष २०३० तक देश के लगभग सभी वाहनों का ईंधन पेट्रोल या डीजल नहीं होगा। बल्कि देश में चलने वाले वाहन बिजली पर निर्भर रहेंगे। इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए परिवहन तंत्र में भारी बदलाव की आवश्यकता है। इस लक्ष्य की राह पर भारत दुनिया के विद्युत् वाहनों का सबसे ब़डा बाजार बन सकता है क्योंकि भारत में वर्ष २०३० में एक करो़ड विद्युत् कारों की खपत होने की सम्भावना है जहां वर्ष २०१५ में पूरे विश्व में बिके विद्युत् वाहनों की संख्या सवा करो़ड रही। पेरिस में हुए पर्यावरण सम्मलेन के दौरान वैश्विक स्थित पर वर्ष २०३० तक १० करो़ड विद्युत् वाहनों को सडकों पर लाने की बात पर जोर दिया गया था। भारत को इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की इसलिए भी आवश्यकता है क्योंकि भारतीय शहरों में लगातार ब़ढते प्रदूषण और देश की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव बनाए ईंधन के आयात पर काबू पाने में सफलता मिल सकेगी। देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य महानगर वायु प्रदुषण की समस्या से जूझ रहे हैं और अगर वाहनों का विद्युतीकरण हुआ तो सबसे ज्यादा असर ऐसे महानगरों में ही ऩजर आएगा। इस मुश्किल राह पर सरकार को केवल देश की जनता ही नहीं बल्कि वहां उद्योग के हितों की भी रक्षा करनी होगी। महिंद्रा और साथ ही ब़डे वाहन निर्मातों ने भविष्य में विद्युत् वाहनों के पेश करने की बात तो कही है परंतु इसके लिए बाजार में मांग भी विद्युत् वाहनों को आकर्षक बनाने जैसी होनी चाहिए। सरकार द्वारा जल्द लागू किए जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में जिस तरह हाइब्रिड कारों और अन्य यात्री कारों पर एक सामान कर लगाए जाने से ऐसी कारों के दाम पेट्रोल या डीजल कारों के मुकाबले ज्यादा रहेंगे। अगर सरकार ऐसी गलतियां करेगी तो निश्चित रूप से वर्ष २०३० के लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं होगा। सरकार को सकारात्मक समर्थन देते हुए वाहन उद्योग को विद्युत् वाहन बनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। हाइब्रिड कारों पर लगाए जा रहे कर पर पुनर्विचार करना इस दिशा में पहला कदम साबित हो सकता है। ग्रीनपीस संस्था ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में यह पाया था कि देश में २० लाख से अधिक लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण की वजह से होती है, ऐसे में सरकार का विद्युत् वाहनों की और रुख करना एक सकारात्मक पहल है। जिस तरह से वर्ष २०१५ में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा एलईडी बल्ब को घरों में रोशनी के एक बेहतर विकल्प में पेश कर पाने में सफलता मिली थी उसी तरह वर्ष २०३० के ब़डे लक्ष्य के लिए सरकार जनता को भी विद्युत् वाहनों के फायदों से अवगत करना होगा। देश के लिए विद्युत् वाहन भविष्य का बेहतर विकल्प हैं। अब सरकार को अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए जनता और वाहन उद्योग को साथ लेकर देश की सडकों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए क़डी मशकत करने के लिए अपनी कमर कसनी होगी।

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