अलगाववादियों से हटता नकाब

अलगाववादियों से हटता नकाब

कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मारे गए छापों में ढाई करो़ड से अधिक नकदी बरामद हुई हैं, साथ ही लश्कर-ए-तोइबा और हि़ज्बुल मुजाइद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के लेटरहेड भी इन ठिकानों से ़जप्त किए गए हैं। यही नहीं डॉलर और सऊदी अरब की मुद्रा भी बरामद हुई है। श्रीनगर, जम्मू और गुडगाँव में अलग-अलग ठिकानों पर एनआईए द्वारा मारे गए छापों से यह सा़फ हो गया है कि जम्मू और कश्मीर में हिंसा भ़डकाने के लिए और आतंकवाद का समर्थन करने के लिए सीमा पार से अलगाववादी नेताओं को आर्थिक मदद मिल रही है। एनआईए ने अनेक ़फ़र्जी बैंक खतों का भी पता लगाया है और जेल में बंद शरारतीतत्वों से अलगाववादी नेताओं के बीच हुए पत्र व्यवहार का भी पर्दा़फा़श किया है। कई मोबाइल ़फोन और सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं और संदेहापद लेन-देन के बही खाते भी मिले हैं। ़जप्त किए गए अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज और पेनड्राइव से जांच एजेन्सियों को प्रमुख अलगाववादी नेताओं के खिलाफ महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने की भी उम्मीद हैं।एनआईए ने मारे गए छापों में यह पाया है कि अलगाववादी नेता कश्मीर में पत्थरबा़जी और क्षेत्रीय अशांति ़फैलाने का काम कर रहे हैं। अलगाववादी नेतों को ऐसा करने के लिए पकिस्तान और अन्य अरब देशों के जरिए आर्थिक सहयोग मिलता रहा है और जल्द ही इस सिलसिले में गिरफ्तारियां भी की जा सकती हैं। करो़डों में की जा रही आर्थिक सहायता को ़फ़र्जी कम्पनियों और हवाला के जरिए अलगाववादी नेताओं तक पहुँचाया जा रहा था। हुर्रियत के नेता सईद अली गिलानी, मीरवाइ़ज उम्र फारुक और यासीन मालिक इन छापों की निंदा करने के लिए तुरंत आगे आए हैं। सच तो यह है कि अगर सरकार को अलगाअववादी नेताओं के खिलाफ सुबूत मिलते हैं तो उनके खिलाफ क़डी कार्रवाई होनी चाहिए। आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं है यह, बल्कि देश में अशांति फैलने के षडयंत्र का हिस्सा है। अलगाववादी नेता कश्मीर के संवेदनशील मुद्दे का निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं और उन्हें राज्य की जनता से किसी भी तरह का लगाव नहीं है। अगर होता तो स्थानीय युवकों को गुमराह कर पत्थरबा़जी में शामिल होने के लिए यह अलगाववादी नहीं उकसाते। एनआईए द्वारा की जा रही जांच में अलगाववादियों का असली चेहरा सामने आया है। अब सरकार को इन देशद्रोही नेताओं के खिलाफ क़डी कार्यवाई करनी चाहिए। जिस तरह यह नेता कश्मीर में स्थानीय अशांति ़फैलाने के लिए पत्थरबा़जी का समर्थन कर रहे हैं, उसी तरह यह आतंकवादियों को भी शरण दे रहे होंगे। अलगाववादी नेताओं को भी आतंकवादी घोषित कर उनके खिलाफ सरकार को क़डी कार्रवाई करनी चाहिए। कश्मीर समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए सबसे पहले अलगाववादी नेताओं को सलाखों के पीछे भेजना होगा और साथ ही पाकिस्तान से आर्थिक सहयोग कर इन्हें सबल बना रहे हवाला तंत्र पर भी शिकंजा कसना होगा। अलगाववादी नेतों को सरकार ने पहले भी कई बार गिरफ्त में लिया है लेकिन इस बार सरकार के पास पुख्ता सुबूत हैं कि यह अलगावादी नेता कश्मीर में अशांति ़फैलाने के षडयंत्र के प्रमुख किरदार हैं। जिन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।

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