सेनाध्यक्ष पर सवाल !

सेनाध्यक्ष पर सवाल !

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित एक बेतुका बयान देकर फंस गए हैं। उन्होंने हमारे सेना अध्यक्ष बिपिन रावत की तुलना गली के गुंडे से करने के बाद यह भी जानना चाहा कि पाकिस्तान से तो यही उम्मीद है परंतु हमारे सेना अध्यक्ष ऐसे लापरवाह बयान क्यों दे रहे हैं। संदीप दीक्षित का इशारा सेना अध्यक्ष द्वारा कश्मीर में पत्थरबा़जों पर दी गयी टिपण्णी की ओर था परंतु सच तो यह है कि जिस तरह की हिंसा कश्मीर में हो रही है ऐसे में अगर हमारे सेनाध्यक्ष क़डे बयान देने से भी बचेंगे तो निश्चित रूप से हमारी सेना का मनोबल कम़जोर होगा। सेनाध्यक्ष पर बयान देने से राजनेताओं को बचना चाहिए। हमारे सैनिक सरहद पर अपनी जान जोखिम में डालकर देश की रक्षा करते हैं ऐसे में राजनेताओं अपने आलीशान बंगलों में बैठकर दिए गए बेतुके बयानों से केवल अपनी नादानी का ही प्रदर्शन देते हैं। संदीप दीक्षित के बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है और साथ ही बेंगलूरु में राहुल गांधी ने एक सवाल का जवाब देते हुए यह भी कहा दिया है कि नेताओं को सेना पर किसी भी तरह के बयान देने की आवश्यकता नहीं है। इस से सा़फ हो जाता है की संदीप दीक्षित द्वारा दिए गए इस बयान में कोई भी उनका साथ नहीं दे रहा है और उनके इस बयान की वजह से कांग्रेस को भी विपक्ष की मार झेलनी प़ड रही है। भाजपा नेता मांग कर रहे हैं कि दीक्षित के बयान के लिए सोनिया गाँधी को मा़फी मांगनी चाहिए।सेना हमारे देश की रक्षा कर रहे लाखों सैनिकों का ऐसा संगठन है जो पकिस्तान जैसे बदमाश पडोसी देश की मौजूदगी में भी अपना संयम बरकरार रखती है। हमारे सैनिक सियाचिन जैसे कठोर वातावरण में भी पूरी मुश्तैदी से डटे रहते हैं। सेनाध्यक्ष का पद एक प्रतिष्ठित पद होता है जिस तक वही सैनिक पहुँचते हैं जो कई दशकों से देश की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर चुके हैं और जिनके साहस और तजुर्बे की कहानी उनकी छातियों पर लगे मैडल बयाँ करते हैं, वहीं दूसरी ओर राजनेता बनना कठिन नहीं होता है। संदीप दीक्षित का ही उद्धरण लिया जाए तो उनकी पहचान यही है कि वह तीन बार दिल्ली की मुख्य मंत्री रह चुकी शीला दीक्षित के बेटे हैं। उनकी उपलब्धियां भी ज्यादा नहीं हैं। इससे पहले भी वह कई बेतुके बयान दे चुके हैं। जब तक वह किसी विरोधी पक्ष या नेता पर बयान देते हैं तब तक तो ठीक है परंतु देश के सेनाध्यक्ष पर इस तरह का बयान निंदनीय है। अगर आज सेनाध्यक्ष पर दिए गए बयान के खिलाफ क़डी कार्यवाही नहीं की जाती है तो सम्भवता भविष्य में कोई अन्य नेता प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जैसे गरिमामय पदों को भी अपने लापरवाह बयानों का निशाना बनाने की हरकत कर सकता है। संदीप दीक्षित ने अपनी गलती के लिए मा़फी मांगी है और खेद भी जताया है परंतु भविष्य में ऐसे बयान देने से राजनेताओं को रोकने के लिए संदीप दीक्षित पर उनकी हरकत के लिए सांकेतिक कार्यवाही होनी चाहिए। न्यायलय की अवमानना के डर से ब़डे-ब़डे नेता किसी भी न्यायाधीश पर बेतुके बयान देने से बचते हैं उसी तरह से सरकार और सेना के गरिमामय पदों को भी इसी तरह का सम्मान मिलना चाहिए। साथ ही अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश की गरिमा को ठेस पहुँचाने का अधिकार किसी को नहीं दिया जाना चाहिए।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

बेंगलूरु: स्वस्थ जीवनशैली का संदेश देकर कैंसर से बचाव के लिए जागरूक किया बेंगलूरु: स्वस्थ जीवनशैली का संदेश देकर कैंसर से बचाव के लिए जागरूक किया
सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों से 350 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया
जम्मू-कश्मीर: वायुसेना के काफिले पर हमले के बाद 'इधर' भाग गए आतंकवादी!
ओडिशा: सुचरिता मोहंती के टिकट लौटाने के बाद कांग्रेस ने इन्हें बनाया पुरी से उम्मीदवार
एचडी रेवन्ना को एसआईटी अधिकारियों ने हिरासत में लिया
अरविंदर सिंह लवली समेत कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल
एक ओर गर्मियों में थाईलैंड जाने वाले राहुल हैं, दूसरी ओर बिना छुट्टी लिए देशसेवा करने वाले मोदी हैं: शाह
पाक फौज को इमरान की दो टूक- सिर्फ एक शर्त पर हो सकती है बातचीत, अगर ...