नई सूखा राहत नीति से कर्नाटक के किसानों को होगा भारी नुकसान : सिद्दरामैया
नई सूखा राहत नीति से कर्नाटक के किसानों को होगा भारी नुकसान : सिद्दरामैया
बेंगलूरु। राज्य सरकार ने आशंका जताई है कि केंद्र सरकार जिस प्रकार से वर्ष २०१६ के सूखा प्रबंधन मैनुअल की समीक्षा कर रही है, उससे कर्नाटक को सूखे की स्थिति में नुकसान उठाना प़ड सकता है। केंद्र सरकार समीक्षा के बाद नई सूखा प्रबंधन प्रक्रिया अपनाने पर विचार कर रही है लेकिन इससे कर्नाटक को सूखे की स्थिति में केंद्र से यहां के किसानों को मिलने वाली मदद राशि में भारी कटौती हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा है कि किसी राज्य में सूखा प्रभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए बहुत क़डे नियम बनाने से राज्य सरकारों के लिए उन तालुकों को सूखा प्रभावित इलाका घोषित कर पाना मुश्किल हो जाएगा, किसानों को सूखे के कारण भारी फसली नुकसान का सामना करना प़ड रहा हो। उन्होंने ध्यान दिलाया कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने इस विषय में जो मैनुअल प्रकाशित किया है, वह इसी वर्ष खरीफ फसल के मौसम से लागू हो जाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इसे किसानों के लिए मददगार स्वरूप देने के लिए इसमें काफी सुधार और बदलाव करने की जरूरत है।सिद्दरामैया ने प्रधानमंत्री को लिखा है, ’’किसी इलाके को सूखा प्रभावित घोषित करने के लिए समीक्षित मैनुअल में दिए गए मानदंडों में ब़डे बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। समझा जा रहा है कि बहुत क़डे मानदंड या पात्रता शर्तें निर्धारित करने से राज्य सरकारों के सामने सूखा प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने में भी समस्याएं ख़डी होंगी। इससे भविष्य में सूखा प्रभावित किसानों को पर्याप्त मदद देने में भी राज्य सरकारों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थितियां उत्पन्न होंगी।’’ उन्होंने पत्र में लिखा है कि कर्नाटक में अक्सर सूखे के हालात पैदा होते रहते हैं्। अब तक राज्य के किसानों को सूखे से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत फंड या राज्य आपदा राहत फंड से मिलनेवाली मदद राशि नाकाफी रही है। इस मद पर राज्य सरकार को अपने खजाने से अतिरिक्त व्ययभार उठाना प़डता रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है, ’’प्राप्त जानकारी के मुताबिक, समीक्षित मैनुअल में राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से सिर्फ उन सूखा प्रभावित तालुकों को मुआवजा और मदद देने का जिक्र किया गया है, जो अत्यधिक सूखे की चपेट में हों। अगर इसे लागू किया गया तो वास्तव में सूखा प्रभावित छोटे और सीमांत किसानों को फसली नुकसान का कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। उन्हें फसल नुकसान के लिए इनपुट सब्सिडी का लाभ उठाने का मौका भी नहीं मिल सकेगा। यह सूखा राहत योजना की मूल भावना के ख्लिाफ होगा।’’मोदी को सिद्दरामैया द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में बुधवार को यहां पत्रकारों को जानकारी देते हुए विधि और संसदीय कार्यमंत्री टीबी जयचंद्रा ने बताया कि आज मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने बताया, ’’हमने इस वर्ष राज्य के १६० तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया है। अगर हमें नए मानदंडों के मुताबिक चलना प़डा तो हम मात्र ३८ तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित कर सकेंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक पर नई समीक्षित सूखा राहत नीति का काफी बुरा असर देखने को मिलेगा।